कानपुर: एंबुलेंस बन रहे चलते-फिरते प्रसव केंद्र

कानपुर। एंबुलेंस में प्रसव। क्यों चौंक गए ना। ग्रामीण क्षेत्रों में समय से सूचना न मिलने से तमाम प्रसव 108 व 102 नम्बर की एम्बुलेंस में हो रहे हैं। इसके लिए आशा बहुएं व एएनएम भी काफी हद तक जिम्मेदार है। एम्बुलेंस को ऐसे समय पर फोन किया जाता है जब प्रसव का समय आ जाता है। वहीं रास्ते में कोई बाधा आने पर अस्पताल पहुँचने से पहले ही एम्बुलेंस में प्रसव हो जाते हैं। बीते साल 1312 महिलाओं के प्रसव एम्बुलेंस में हुए है। यह जानकारी एम्बुलेंस चालकों की रिपोर्ट से सामने आई है।
एंबुलेंस में प्रसव की लगातार बढ़ रही संख्या
सभी 1312 प्रसव या तो रस्ते में एम्बुलेंस में हुए या फिर अस्पताल पहुंचने पर स्ट्रेचर में हुए हैं। कई मामले तो ऐसे भी सामने आये कि एम्बुलेंस तो मौके पर पहुँच गई। लेकिन आशा बहू नहीं पहुँची तो फिर प्रसव एम्बुलेंस कर्मचारियों को ही कराने पड़े। बाद में वह जच्चा-बच्चा को अस्पताल लेकर पहुंचे।
समय पर नहीं पहुंचती आशा बहुएं
अगर एम्बुलेंस कर्मचारियों की माने तो अक्सर एएनएम व आशा बहुएं फोन में आने की बात तो कहती हैं। लेकिन समय से पहुँचती नहीं हैं। वह परिजनों को रोके भी रखती हैं। आशाओं व परिजनों की ऐन वक्त पर सूचना देने के चलते तमाम गर्भवती की हालत गम्भीर भी हो जाती है।
जाम और रेलवे क्रासिंग भी जिम्मेदार
प्रसव पीड़िता को अस्पताल ले जाते समय रास्ते की रुकावट भी प्रसव के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। सड़कों में लगने वाले जाम में एम्बुलेंस के फंसने से भी प्रसव हो जाते हैं। यही हाल रेलवे क्रासिंग में भी होता है। इन्हीं कारणों के चलते इस वर्ष में केवल इसी माह 138 प्रसव एम्बुलेंस में हो चुके हैं।
परिजनों को ध्यान रखना चाहिए
कानपुर मण्डल के नोडल अफसर एम्बुलेंस आशीष वर्मा का कहना है कि एम्बुलेंस सेवा ने 1312 गर्भवती का सड़क में प्रसव होने से बचाकर जच्चा बच्चा को सकुशल अस्पताल पहुँचाया है। देरी के लिए परिजनों को रेलवे क्रासिंग या अन्य समस्याओं को देखते हुए कुछ पहले से सूचना देनी चाहिए। ताकि समय से अस्पताल पहुंचा जा सके और एंबुलेंस में प्रसव न हो।