जल्दी ही पहाड़ों पर भी लहलहाएंगी फसलें

देहरादून। पहाड़ों पर खेती लगातार कम हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण पानी की कमी माना जा रहा है और इस वजह से लोग पहाड़ों पर खेती कम करने लगे हैं। जल्द ही पहाड़ों पर भी बेहतरीन तरीके से खेती की जा सकेगी। पहाड़ों पर खेती के लिए इजराइल की तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। उत्तराखंड का लगभग 80 प्रतिशत भाग पहाड़ी है। वहीं राज्य में कृषि रोजगार का बड़ा साधन है, लेकिन राज्य बनने के बाद से धीरे-धीरे पहाड़ों पर लोगों का कृषि से मोह भंग होता जा रहा है, क्योंकि पहाड़ों पर खेती के लिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
पहाड़ों पर खेती के लिए इजरायली तकनीक
इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने इजराइल की कंपनी का साथ लिया है, जो अल्मोड़ा जिले के सारुण गांव में कृषि रिसर्च सेंटर बनाने जा रही है। इसमें कम पानी से पहाड़ों पर खेती की जा सकेगी। बेहतर खेती की ये तकनीक किसानों को भी सिखाई जाएगी।
मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार रणजीत रावत के साथ पहुंचे इजराइली दल ने सारुण गांव में साइड का निरीक्षण किया। वहीं रणजीत रावत ने बताया कि इजराइल के द्वारा रिसर्च सेंटर के निर्माण से गांव के लोगों को रोजगार भी मिलेगा और वह समझ पाएंगे कि कम पानी में कैसे खेती को विकसित किया जा सकता है।
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सारुण पहंचे इजराइली दल ने भी राज्य सरकार के साथ काम करने पर खुशी जताई, उन्होंने गांव के लोगों से कृषि को लेकर चर्चा भी की। दल के सदस्य एरिक बताते हैं कि इजराइल विश्व में कम पानी में उन्नत कृषि के लिए प्रसिद्ध है, जिस कारण वह कई देशों में इस तकनीक को पहुंचा रहे हैं।
गांव के लोग भी मानते हैं कि पानी की कमी से लगातार पहाड़ों में लोगों को कृषि से लगाव कम हो रहा है, क्योंकि अब पहाड़ों में सिर्फ बरसातों में ही खेती हो पा रही है। जहां पहले वह दालों से लेकर धान, गेहूं और सब्जियों का ज्यादा उत्पादन करते थे, वहीं अब वह परिवार के खाने के लिए भी बमुश्किल ही फसल उगा पा रहे हैं।