पूर्वजों की एक खोज

हरिद्वार। अगर आप अपने पूर्वजों के नाम नहीं जानते या भूल गए हैं तो चले आइए हरिद्वार में हो रहे अर्द्धकुंभ में। यहां के तीर्थ पुरोहितों ने आपके 300 से 400 साल पुराने पूर्वजों के इतिहास को अपनी बहियों में बाकायदा सहेजकर और संजोकर रखा है। इतना ही नहीं इन बहियों में पूर्वजों की मौत के कारण से लेकर उनके मरने की तारीख, समय और उनके तमाम सगे संबंधियों का विस्तृत ब्यौरा भी मौजूद है।
क्या आपको पता है जिन पूर्वजों के नामों को आप नहीं जानते या भुला चुके हैं, उन्हें आज भी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज ने सहेजकर अपने पास रखा हुआ है। ये इतिहास दस बीस या पचास साल पुराना नहीं बल्कि 300 से 400 साल पुराना है।
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पूर्वजों के इतिहास से वंशज भी खुश
राजस्थान, हिमाचल समेत कई प्रदेशों के तीर्थ पुरोहित पंडित अनिल कुमार तुम्बडिया का कहना है कि उनके पास ऐसा 300 साल से भी पुराना रिकॉर्ड कागजों पर मौजूद है। कुंभ और अर्द्धकुंभ में इन बहियों का महत्व और भी ज्यादा इसलिए बढ़ता है क्योंकि स्नान के लिए आने वाले लोग अपने पूर्वजों का लेखा जोखा भी देखना चाहते हैं, जो उन्हें केवल यहीं पर देखने को मिलता है।
वहीं हरिद्वार पहुंचकर पंडों की बहियों में अपने पूर्वजों का इतिहास देख श्रद्धालु भी खासे खुश नजर आते हैं। महाराष्ट्र से आये दिनेश का कहना है कि उनके लिए ये एक धरोहर है, जिसे हरिद्वार में सहेजकर रखा गया है।
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जिस तरह बहियों में देश दुनिया के लाखों लोगों का सदियों पुराना इतिहास लिखा है, वैसे ही इन बहियों को सहेजकर रखने वाले पंडों का भी इतिहास है जो अपने से तीन दशक से भी ज्यादा से लोगों की अमानत सहेजे हुए हैं। इतनी खूबी के साथ इतने सालों से व्यवस्थित ढंग से हो रहे काम को देखकर बाकई हैरत होती है।