मंगल और चांद पर मानव बस्तियां अभी दूर की कौड़ी

मंगल और चांद पर मानव बस्तियों की राह आसान नहीं है। साइंस जैसे जैसे तरक्की कर रही है चांद सूरज, तारे हमारी मुट्ठी में कैद होते जा रहे हैं। अंतरिक्ष हमारे आंगन में उतरता जा रहा है। कभी चांद पर पहुंचना एक सपना था आज मंगल और चांद पर बस्तियां बसाने की बात हो रही है।
मंगल और चांद पर बस्तियां बसाने में क्या हैं दिक्कतें
ये कहा जा रहा है मंगल और चांद पर बस्तियां बसाने की राह आसान नहीं है। मंगल का जहां अत्यन्त ठंडा होना और वहां रोगाणुओं का खतरा मुख्य बाधा है वहीं चन्द्रमा पर छह महीने का दिन और छह महीने की रात बाधा है। इसके अलावा चरम पर गर्मी और चरम पर ठंड दोनो में ही जीवन बचना संभव नहीं दिख रहा है। इसलिए यह भी आसान नहीं है। लेकिन फिर भी वैज्ञानिक इस पर विचार कर रहे हैं। और कहा यह जा रहा है धरती के इस निकटवर्ती ग्रह पर जमीन के नीचे कालोनी बनायी जा सकती है।
वैज्ञानिकों की माने तो चांद पर गांव या बस्ती बसाने का सपना साल 2030 तक हकीकत में बदल सकता है। साइंस एलर्ट वेबसाईट पर छपी खबर के मुताबिक हाल ही में नीदरलैंड में हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) की “2020-2030 तक चंद्रमा पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी” में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने उम्मीद जतायी की अगले दशक में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद पर गांव बसाने का सपना पूरा हो सकता है।
उनके मुताबिक चांद पर गांव बसाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा की, आने वाले समय में मंगल और दूसरे ग्रहों के मानव अभियानों में यह ‘बीच के ठहराव’ (स्टॉपओवर) के रूप में काम करेगा।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की कैथी लौरिनी ने कहा कि “ ईएसए के अंतरिक्ष अन्वेषण रणनीति से मंगल ग्रह के रास्ते पर मानव अभियानों के लिए चंद्रमा एक प्राथमिकता गंतव्य और ‘बीच के ठहराव’ का काम करेगा।
ईएसए की योजना के मुताबिक 2020 की शुरूआत में चंद्रमा के पर विभिन्न सुविधाओं के निर्माण शुरू करने के लिए रोबोट को भेजा जाएगा, उसके बाद वहां इंसानों को भेजने की योजना है।