मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को

नई दिल्ली। मकर संक्रांति इस बार पूर्णरुप से 15 जनवरी को मनायी जाएगी। पिछले साल तिथि में बदलाव के कारण 14 और 15 दोनों दिन ही मकर संक्राति मनाई गई थी। लेकिन इस साल 15 जनवरी, शुक्रवार को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
ज्योतिषचार्यों के अनुसार 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में सुबह 7 बजकर 42 मिनट पर प्रवेश करेगा और रात 9 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। दोहर 12 बजे दान-पुण्य का विशेष महत्व है। 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि में ही रहेगा, इसलिए इस दिन स्नान, दान आदि करने का कोई महत्व नहीं होगा। मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार होता है जो जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार किया जाता है।
2016 में देवताओं के गुरु बृहस्पति का सूर्य देव की सिंह राशि में गोचर होगा। जिससे यह अवधि समस्त शुभ कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी। इस दिन को सूर्य की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
शताब्दी पंचाग के अनुसार साल 2017, 2018 को छोड़कर और सभी सालो में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। इन वर्षों में सूर्य 14 जनवरी की शाम, रात और दोपहर बाद में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इन सालों में संक्रांति 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनाई जाएगी। लेकिन इसके अलावा अन्य सभी शेष सालों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनेगी। वहीं साल 2080 में मकर संक्रांति का पुण्य काल 16 जनवरी को होगा और मकर संक्रांति का त्योहार 15 या 16 दोनों ही दिन मनाया जा सकेगा।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है
सूर्य अपनी स्वाभाविक गति से प्रत्येक साल 12 राशियों मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन में 360 अंश की परिक्रमा करते हैं। एक राशि में तीस अंश का भोग करते हुए सूर्य दूसरी राशि में जाते हैं। धनु राशि को छोड़ जब सूर्य मकर राशि में आते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन स्नान-दान आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कई जगहों पर इसे खिचड़ी, दक्षिण भारत के राज्यों में इसे पोंगल और उत्तर पूर्व के राज्यों में इसे बीहू कहा जाता है।