मदरसा टीचरों को तोहफ़ा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसा टीचरों को उनकी सेवा में सत्रांत लाभ के रूप में नये वर्ष का तोहफ़ा दिया है। शीघ्र ही शासनादेश जारी हो जाएगा। नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आज़म खाँ ने इस आशय की जानकारी दी।
मंत्री ने बताया कि शासन ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमें प्रदेश के बेसिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के अध्यापक/अध्यापिकाओं की ही भांति मदरसा शिक्षकों को लाभ देने की बात कही गयी थी। इसके तहत मदरसा शिक्षक यदि शैक्षणिक सत्र के मध्य में सेवानिवृत्ति हो रहा है तो उसे भी सत्र की समाप्ति तक सेवा-विस्तार दिये जाने का अनुरोध किया गया था। ख़ास बात यह है कि इस सेवा अवधि को नियोजन में बढ़ाई गयी अवधि ही समझा जायेगा।
श्री आज़म खाँ ने बताया कि मदरसों का शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से 31 मार्च तक का होता है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद अब यदि कोई मदरसा टीचर शैक्षणिक सत्र के मध्य सेवानिवृत्त होता है तो उसे सत्र पूरा होने की तिथि 31 मार्च तक सेवारत रखा जायेगा।
मदरसा टीचरों की एक और मांग है अभी बाकी
मदरसा शिक्षकों की एक और बड़ी मांग अभी बाकी है। सूबे के करीब 25 हजार मदरसा शिक्षक 1993 से विनियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग केन्द्र व प्रदेश सरकार से है। इन शिक्षकों की नियुक्ति केन्द्र की एसपीक्यूईएम योजना में आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए हुई थी। इन्हें गणित और विज्ञान विषय पढ़ाने थे। इसमें स्नातक योग्यताधारी शिक्षकों को अभी केन्द्र सरकार से 6 हजार व प्रदेश सरकार से दो हजार रुपये प्रति माह दिया जा रहा है। जबकि परास्नातक योग्यताधारी शिक्षकों को केन्द्र से 12 हजार व प्रदेश सरकार से तीन हजार रुपये प्रति माह दिया जा रहा है। यानी कुल मिलाकर 15 हजार रुपये मिल रहा है।