लोकायुक्त पर फंसी सरकार

लखनऊ। लोकायुक्त के मुद्दे पर सपा सरकार को घेरते हुए भाजपा ने पूछा कि मुख्यमंत्री बताएं कि सच कौन और झूठ कौन? पार्टी ने कहा है कि लोकायुक्त की नियुक्ति प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से शपथ पत्र दिया गया था। जिसमें चयन समिति द्वारा विचारे गये, नामों में प्रथम नाम सेवा-निवृत्त जस्टिस वीरेन्द्र सिंह का था। इस आधार पर अदालत ने वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त किया।

लोकायुक्त पर तीन बयान
भाजपा ने कहा कि अब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और बाद में नेता विपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या ने वीरेन्द्र सिंह के नाम पर सहमति की बात को गलत बताया है। यह भी कहा गया है कि विचारणीय नामों में वीरेन्द्र सिंह का नाम प्रथम नहीं था। उधर सरकार के वरिष्ठ मंत्री कह रहे हैं कि ‘‘स्वामी प्रसाद मौर्या झूठ बोल रहे है’’।
पार्टी ने यह भी कहा कि मुख्यन्यायाधीश ने अपने पत्र में जस्टिस एएन मित्तल के नाम पर चर्चा की बात कही थी और नेता प्रतिपक्ष ने भी जस्टिस एएन मित्तल का नाम मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित किये जाने की बात स्वीकार की है। भाजपा ने मांग की कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वास्तविकता जनता को बताएं। क्योंकि यह मसला देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था को गुमराह करने से जुड़ा है।
बुआई में कमी चिंताजनक
पार्टी ने प्रदेश में गेहूं और चने के बुआई रकबे में 18 और 42 प्रतिशत कमी को चिन्ताजनक बताया है। प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि गेहूं, मसूर, चना आदि फसलों की बुआई के क्षेत्रफल में कमी प्रदेश में अन्न की कमी का संकट पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि प्रदेश में सूखे की स्थिति से निपटने तथा सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने के हर सम्भव उपाय करती जो कि नहीं किया गया है। किसान वर्ष में रकबे का गिरता ग्राफ सरकार की किरकिरी करा रहा है।