होम्योपैथी डॉक्टर भी कर सकेंगे अंतरराष्ट्रीय मान्यता का इलाज

लखनऊ। होम्योपैथी डॉक्टर भी जल्द ही डेंगू, डायबिटीज, मलेरिया, फ्लू जैसी बीमारियों का इलाज कर सकेंगे। होम्योपैथी चिकित्सकीय पद्धति के मानकीकरण के लिए अब केंद्रीय होम्योपैथी रिसर्च परिषद सीसीआरएच ने 20 दवाओं के प्रोटोकॉल तैयार किए हैं। इससे होम्योपैथी के क्षेत्र में कई गम्भीर बीमारियों में अंतरराष् ट्रीय मान्यता का इलाज कर सकेंगे।
होम्योपैथी में ढाई लाख चिकित्सक कर रहे हैं प्रैक्टिस
यह जानकारी सीएसआईआर.इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च आईआईटीआर में परिषद के महानिदेशक डॉ आरके मनचंदा ने दी। वह होलिस्टिक मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित डॉ बीबी शुक्ला मेमोरियल सेंटेनरी लेक्चर में मुख्य अतिथि थे। उनका कहना था कि होम्योपैथी में अकेले भारत में ही करीब ढाई लाख चिकित्सक प्रैक्टिस कर रहे हैं। मरीजों को सही इलाज मिले। इसके लिए हमने शोध किए हैं। इन शोध के बाद 20 दवाओं के प्रोटोकॉल रिलीज किए गए।
प्रोटोकॉल में मरीजों बीमारी की पहचान कर जरूरी इलाज दिया गया
डॉ आरके मनचंदा ने बताया कि प्रोटोकॉल में मरीजों की बीमारी की सही पहचान करने से लेकर उन्हें जरूरी इलाज भी दिए गए हैं। बीमारियों का चयन भी इलाज को ध्यान में रख कर किया गया। इससे ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इलाज दिया जा सकेगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मानकों को भी पूरा करने पर पूरा जोर दिया जा रहा है। बच्चों में एक्यूट ब्रांकाइटिस, ब्रांकल अस्थमा, उनके व्यवहार में बदलाव, कब्ज, कॉमन कोल्ड, दांत की समस्याए याददाश्त की कमी और छोटे बच्चों में पेट दर्द की समस्या के लिए प्रोटोकॉल में दवाओं को शामिल किया गया है।
इसी तरह गर्भावस्था में चिंताए डर व उल्टी की शिकायतए पीठ दर्द और कब्ज व पाइल्स के अलावा प्रसव के बाद ब्रेस्ट में समस्या का इलाज भी प्रोटोकॉल के मुताबिक हो सकेगा। वहीं सामान्य लोगों में टांसलाइटिस, सिरोसिस, डायबिटीज, साइनोसाइटिस, डेंगू, मलेरिया, फ्लू का इलाज डॉक्टर प्रोटोकॉल के हिसाब से दे सकते हैं।