पांच करोड़ को सुरक्षा, 15 हजार रोजगार और गोरखपुर को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान देगा AIIMS

गोरखपुर। जनपद के खुटहन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का बनना लगभग तय माना जा रहा है। यूपी के सीएम अखिलेश यादव की घोषणा के बाद यह चर्चा भी तेज हो गई है कि गोरखपुर में एम्स के बनने के दूरगामी असर क्या होंगे?
puridunia.com की पड़ताल में विशेषज्ञों ने भी यह स्वीकार किया कि एम्स न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा बल्कि इसके बड़े आर्थिक और सामाजिक फायदे भी होंगे। जानकारों का दावा है कि एम्स बनने के बाद गोरखपुर, बिहार और नेपाल की पांच करोड़ की आबादी को गंभीर बीमारियों से सुरक्षा तो मिलेगी ही, गोरखपुर की अन्तर्राष्ट्रीय पहचान और मजबूत होगी। इसके अलावा पंद्रह हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
एम्स की लड़ाई से करीब से जुड़े रहे सामाजिक कार्यकर्ता राजेश मणि का कहना है कि एम्स बनने के बाद गोरखपुर के अलावा इसके आसपास के 25 किलोमीटर के दायरे में तेज गति से सामाजिक और आर्थिक विकास होगा। मेडिकल स्टोर, होटल, लाज, रेस्टोरेंट समेत हजारों छोटे-छोटे व्यवसाय होंगे, जिनसे इस इलाके से श्रम और प्रतिभा का पलायन रुकेगा। नेपाल तक के मरीज इलाज के लिए गोरखपुर आएंगे। नेपाल के अलावा चीन और पाकिस्तान तक के मरीजों की पहली पसंद गोरखपुर का एम्स होगा।
प्रापर्टी डीलर रितेश कुमार का कहना है कि खुटहन और आसपास के क्षेत्रों में अभी से जमीन के दाम चार गुना बढ़ गये हैं। बीआरडी मेडिकल काॅलेज होने के कारण चरगांवा क्षेत्र में आवासीय जमीनों के दाम पहले से अधिक थे। अब एम्स की घोषणा ने जमीनों के प्रति लोगों में रूचि जगा दी है। रितेश का यह भी दावा है कि इस इलाके में किराये के मकानों के दाम भी बढ़ जाएंगे।
सुपरस्पेशल सेवाएं मिलेंगी
बीआरडी मेडिकल काॅलेज के पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा का कहना है कि एम्स बनने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल को सुपरस्पेशल सेवाएं गोरखपुर में ही मिलेंगी। विदेशी चिकित्सकों से ज्ञान व खोज का आदान-प्रदान होगा। इस इलाके में शोध की गतिविधियां बढ़ेंगी जिससे गंभीरतम बीमारियों पर अंकुश लगाना संभव होगा। इलाज तो बहुत सस्ता नहीं होगा लेकिन असाध्य बीमारियों का इलाज सुलभ जरूर हो जाएगा।
एम्स होता तो बच जाता भरतलाल
एम्स की लड़ाई से जुड़े रहे बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरएन सिंह 9 अगस्त 2014 की घटना का जिक्र करते हुये एम्स की महत्ता पर प्रकाश डालते हैं। उन्होंने बताया कि क्रांति दिवस पर मंडल के सभी जिलों में आंदोलन चल रहा था। महराजगंज की कमान संभाल रहे भरतलाल की तबीयत बिगड़ गई। लखनऊ ले जाने में देर हुई और भरतलाल की मौत हो गई। अगर एम्स होता तो वह बच सकते थे। डा. सिंह का कहना है कि इलाज के तीसरे चरण से ऊपर का भी इलाज एम्स में ही संभव है।
फोरलेन से बदलेगी किस्मत
गोरखपुर से महराजगंज को जोड़ने वाले मार्ग पर ही खुटहन गांव है। एम्स बनने के लिए साथ ही सीएम के एलान के मुताबिक इस रोड पर फोरलेन बनेगा। इससे कम से कम एक लाख से ज्यादा अपरोक्ष रोजगार मिलेगा। फोरलेन बन जाने के साथ भारत-नेपाल के अन्तर्राष्ट्रीय संबंध इस रोड के जरिए और भी मजबूत होंगे।
एम्स के लिए अभियान
यूपी के कई जिलों में एम्स के लिए अभियान चलाए गए हैं। इनमें गोरखपुर और रायबरेली अहम हैं। आइए इन अनूठे अभियानों पर भी एक नजर डालें :
1- गोरखपुर में एम्स के लिए सबसे बड़ा अभियान चलाया गया। यहां एक लाख से अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पत्र लिखे। कई लोगों ने तो खून से भी खत लिखे। इन पत्रों में गोरखपुर में एम्स बनाने की मांग की गई।
2- महोबा में एम्स के लिए मुसलमानों ने संस्कृत भाषा में मोदी को खत लिखे। 50 हजार खत मोदी को भेजे गए।
3- आगरा और रायबरेली में एम्स के लिए कई सामाजिक संगठनों ने अभियान छेड़ा था।
प्रस्तुति : वेद प्रकाश पाठक