जिनका कभी चम्बल में जलवा था, अब जेल में भी बरकरार है बादशाहत

कानपुर। कभी चम्बल में डकैतों के गुरु नाम से मशहूर रहे रामआसरे तिवारी उर्फ़ फक्कड़ बाबा आज जेल के आदर्श कैदी के रूप में पहचान बना चुके हैं। वहीँ चम्बल की शेरनी रही कुसुमा नाइन रामायण और गीता की दीवानी हो गई हैं। यह उम्र का ढलान समझा जाये या फिर कुछ और। लेकिन इन बन्दियों ने एक बार फिर से जेल में अपनी सकारात्मक बादशाहत कायम कर रखी है। दोनों कुख्यात रहे बीहड़ के यह शेर और शेरनी अब जेल में दूसरे कैदियों के लिए नजीर बन चुके हैं। कैदियों के बीच इनकी चर्चा बनी रहती है।
डाकू फक्कड़ लगाते है क्लास
इनकी जेल में पहचान आदर्श बंदी की बन चुकी है। इसके लिए जेल प्रशासन उन्हें कई बार सम्मानित कर चुका है। कुछ माह पहले आदर्श बंदी चुनने के लिए कराई गई वोटिंग में भी उन्हें सबसे जादा वोट मिले थे। जेल पहुंचकर डिप्रेशन में आने वाले बंदियों को फक्कड़ बाबा की क्लास दी जाती है। वह बंदियों को हर हाल में खुश रहने की सीख देते हैं। वह कहते हैं कि पाप का फल यहीं भुगतना पड़ता है।
कुसुमा बनी पुजारिन
कभी बीहड़ में अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात कुसुमा नाइन अब पुजारिन बन गई हैं। अनपढ़ होने के कारण वह दूसरे बन्दियों से रामायण और गीता पढवाकर सुनती हैं। कोई भी व्रत नहीं छोड़ती हैं। कहती हैं कि शायद यह सब करने से भगवान पाप कम कर दें।उम्र बढ़ने के साथ इनकी दिनचर्या दूसरे कैदियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। उन्होंने कैदियों की मदद से राम लिखना सीख लिया है। जब खाली होती हैं तो कापी में राम राम लिखने लगती हैं। फक्कड़ बाबा ने इन्हें गीता व रामायण भेंट की थी। जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह बताते हैं कि कुसुमा का जादातर समय पूजा पाठ में ही गुजरता है।