अपने अड़ियल रवैये से बाज नहीं आ रहा चीन, भारत के इस राज्य में बसा रहा गांव

बीजिंग: अपनी विस्तारवादी निति को सार्थक साबित करने के लिए चीन लगतार अड़ियल रुख अपनाये हुए है। चीन (China) लगतार अपने पड़ोसी देशो पर धौस ज़माते हुए उनके अधिकार क्षेत्र में घुसकर कब्ज़ा कर रहा है। अब चाहे वो साउथ-चाइना-सी हो या लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल (LAC) चीन हर जगह कब्ज़ा कर के उस क्षेत्र को अपना आधिकारिक क्षेत्र बताता है। भारत और चीन के बीच एलएसी विवाद (India china dispute) काफी लम्बे समय से चल रहा है जो कि चीन के अड़ियल रवैये की वजह से थमने का नाम नहीं ले रहा।
इस बार चीन भारतीय सरजमीं के एक हिस्से पर एक गांव का निर्माण कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीन अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में गांव का निर्माण कर रहा है। और सारे विवाद पर चीन का कहना है की वह ये निर्माण अपनी जमीन पर कर रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि, “वो ‘अपनी जमीन पर’ निर्माण की गतिविधियां कर रहा है और यह पूरी तरह से उसके अखंडता का मसला है।”
भारत ने अवैध रूप से बसाया अरुणाचल प्रदेश: चीन
मीडिया से बात करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रावक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि, “भारत-चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर या फिर जंगनान प्रांत (दक्षिण तिब्बत) में चीन की स्थिति दृढ़ और स्पष्ट है। हमने चीनी जमीन पर अवैध रूप से बसाए गए तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है।”
चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है, और कहता रहा है की वह हमारा आधिकारिक क्षेत्र है। जबकि भारत का कहना है की अरुणांचल प्रदेश हमारा एक अभिन्न अंग है। चीनी विदेश मंत्रालय ने इस मसले को लेकर एक बयान जारी करते हुए कहा कि, “हमारे खुद के क्षेत्र में चीन का सामान्य निर्माण पूरी तरह संप्रभुता का मामला है।”
भारत का हिस्सा नहीं है अरुणाचल प्रदेश: चीन
जानकारी के लिए बता दे कि भारत और चीन के बीच एलएसी विवाद लम्बे समय से चल रहा है। 3488 किलोमीटर लम्बी एलएसी को चीन ने कभी मान्यता नहीं दी है और लगभग 90000 वर्ग किमी जमीन को अपना आधिकारिक क्षेत्र बताता रहा है। चीन हमेशा से अरुणांचल प्रदेश को अपने मानचित्र में दक्षिणी तिब्बत बताता रहा है।
पिछले आठ महीनो से लगातार भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख को लेकर विवाद चल रहा है। इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच कई बार सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हो चुकी है, पर कोई हाल निकलने का नाम नहीं ले रहा है।
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