CM अशाेक गहलोत से जनसम्पर्क सेवा कर्मियों को वेतन कटौती से अलग रखने की मांग
राजस्थान में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों के संगठन ‘प्रसार’ ने मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत से सूचना विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन कटौती से अलग रखने की मांग की है।

जयपुर : राजस्थान में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों के संगठन ‘प्रसार’ ने मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत से सूचना विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन कटौती से अलग रखने की मांग की है। प्रसार के अध्यक्ष मोतीलाल वर्मा ने आज मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पूरी दुनिया गंभीर स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट का सामना कर रही है। राजस्थान में न केवल राज्य सरकार बल्कि पूरा प्रदेश, सभी समुदाय तथा संगठन विषम परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। इस क्रम में, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों के संगठन ‘प्रसार‘ का मत है कि राजकीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों के वेतन में कटौती का राज्य सरकार का निर्णय तर्कसंगत नहीं है।
उन्होंने कहा कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग राज्य सरकार का महत्वपूर्ण विभाग है, जो वर्षभर कार्यरत रहकर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं, नीतियों, कार्यक्रमों एवं निर्णयों का प्रचार-प्रसार करता है। विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी विकट परिस्थितियों में भी सरकार के अन्य महत्वपूर्ण घटकोें के साथ समन्वय और सहयोग करके अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। इसी कारण, जनसम्पर्क विभाग की गतिविधियों को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और पुलिस आदि विभागों के साथ अतिआवश्यक राजकीय सेवाओं में भी सूचीबद्ध किया गया है। ऐसे में, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और पुलिस आदि विभागों के साथ वेतन कटौती के दायरे से बाहर नहीं रखना जनसम्पर्क विभाग के कार्मिकों के प्रति विभेदकारी एवं आर्थिक रूप से अन्यायपूर्ण है।
ये भी पढ़े : होम गार्ड विभाग के अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार को उच्च न्यायालय ने किया तलब
छह महीने से विश्वव्यापी कोरोना महामारी
वर्मा ने कहा कि पिछले छह महीने से विश्वव्यापी कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई के दौरान सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कार्मिकों-अधिकारियों ने राज्य सरकार की अन्य अति-आवश्यक सेवाओं के कार्मिकों-अधिकारियों की तरह ही कोई भी अवकाश लिए बिना सजग रहकर कोरोना के संक्रमण से जू़झने में राज्य सरकार तथा आमजन की मदद करने में भूमिका निभाई है। केन्द्र सरकार द्वारा दो महीने से भी अधिक समय तक लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान प्रदेशवासियों के हितार्थ कुछ चिन्हित विभागों की गतिविधियां लगातार चालू रही थीं, जिनमें सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग भी है। विभाग के कार्मिक एवं अधिकारी हमेशा की तरह इस अवधि में भी राज्य सरकार, स्वास्थ्य तथा पुलिस विभागों, प्रशासनिक अधिकारियों, मीडिया तथा आमजन के बीच सूचनाओं, जानकारियों, नीतियों, आदेशों, संदेशों और तथ्यों के आदान-प्रदान के लिए सेतु के रूप में निरन्तर काम करते रहे हैं।
ये भी पढ़े : HC : शराबी का दिमाग ठीक तो उसकी मर्जी के बीना नशा मुक्ति केंद्र भेजना अवैध
स्वास्थ्य तथा पुलिस विभागों के कार्मिकों
वर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य तथा पुलिस विभागों के कार्मिकों के समान ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कार्मिक-अधिकारियों को आर्थिक मोर्चे पर विषम परिस्थतियों का सामना करना पड़ रहा हैं, लिहाजा सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कार्मिकों एवं अधिकारियों को पुलिस, स्वास्थ्य आदि विभागों के कार्मिकों-अधिकारियों की तरह ही वेतन कटौती के आदेश के दायरे से बाहर रखा जाये।