किसान आंदोलन: आपत्तियों पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार

नई दिल्ली: कृषि बिल में सुधार को लेकर विरोध कर रहे किसानों को सरकार ने एक बार फिर कहा है कि वह खुल मन से विचार करे। सरकार का कहना है कि किसान संगठनों को कृषि सुधार के जिन प्रावधानों पर आपत्ति है उस पर वह खुले मन से विचार करने को तैयार है।
किसान संगठन ने भेजा संशोधन प्रस्ताव
सरकार ने बताया कि कृषि मंत्रालय की ओर से 13 किसान संगठनों को किसानों की आपत्तियों पर संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया है जिसका अध्ययन किया जा रहा है। इन किसान संगठनों के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और अपनी मांगों को लेकर चिचार विमर्श किया था। इन किसान संगठनों में भारतीय किसान यूनियन उग्राहा, क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब और किसान संघर्ष समिति पंजाब आदि शामिल हैं।
सरकार ने कहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की वर्तमान व्यवस्था जारी रखने पर लिखित आश्वासन देगी। किसानों की जमीन पर उद्योगपतियों के कब्जा हो जाने की आशंका के बारे में कहा गया है कि किसानों की जमीन पर बनाई जाने वाली संरचना पर फसल खरीददार किसी प्रकार का रिण नहीं ले सकता और न ही संरचना को बंधक रखा जा सकेगा।
फसलों की खरीद पर विवाद होने से पहले एसडीएम कोर्ट जाने का प्रावधान था लेकिन अब सरकार ने विवाद के मामले को सिविल अदालत में ले जाने का भी प्रस्ताव किया है। व्यापारियों के केवल पैन कार्ड के आधार पर व्यापार करने की व्यवस्था के अलावा उन्हें राज्यों में पंजीयन कराने का भी प्रस्ताव किया गया है। राज्य सरकारों के निजी मंडियों के पंजीयन करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके साथ ही APMC और निजी मंडियों के शुल्क के समान रखने का भी प्रस्ताव किया गया है।
आंदोलन समाप्त करने की अपील की
केन्द्र सरकार ने किसान संगठनों से आन्दोलन समाप्त करने का अनुरोध किया है और कहा है कि किसानों की आर्थिक प्रगति के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं । किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार के प्रस्तावों का अध्ययन किया जा रहा है । कुल चालीस किसान संगठनों के नेता सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता कर चुके हैं लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है ।
किसान संगठनों ने पिछले 14 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर कब्जे जमा रखें है और वे कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
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