योगी आदित्यनाथ की गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग

गोरखपुर। भाजपा सांसद और फायरब्रांड हिन्दू नेता योगी आदित्यनाथ ने सदन में मांग की है कि श्रीमद्भगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाये। यह मुद्दा उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान उठाया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित किया जाए तथा इसे विद्यालयी शिक्षा और विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम का हिस्सा अनिवार्य रूप से बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता एक सार्वदेशिक, सार्वकालिक एवं सार्वभौमिक ग्रन्थ है। यह किसी पंथ, उपासना विधि, मत अथवा मजहब के प्रति किसी को भी आग्रही नहीं बनाता। बिना किसी राग-द्वेष के निष्काम कर्म की प्रेरणा प्रदान करने तथा सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाला ग्रन्थ श्रीमद् भगवत गीता है।
गीता पर मनुष्य का अधिकार
योगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि गीता जैसे पवित्र ग्रन्थ पर मनुष्य मात्र का अधिकार है। गीता का सार यह है कि चाहे मनुष्य किसी भी वर्ण, आश्रम में स्थित हो अथवा किसी भी मत का अनुयायी क्यों न हो लेकिन उसके अन्दर श्रद्धायुक्त भक्ति हो। आज जब विश्व मानवता मजहबी जेहादी आतंकवाद, अलगाववाद तथा भौतिक चकाचौंध से आत्म मुग्ध होकर अनेक प्रकार के आधि-व्याधि से ग्रसित है। ऐसे समय में श्रीमद्भगवत गीता का यह संदेश कि ‘‘परित्राणाय साधुनाम् तथा विनाशायः च दुष्कृताम्’’ सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।
वर्षगांठ पर उठायी मांग
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस वर्ष श्रीमद् भगवत गीता का 5151वीं वर्षगांठ है। हरियाणा सरकार ने इस अवसर पर अनेक आयोजन रखें हैं। श्रीमद्भगवत गीता के सार्वदेशिक, सार्वकालिक एवं सार्वभौमिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के हरियाणा सरकार के द्वारा किया गया प्रयास न केवल सराहनीय है अपितु अन्य राज्य सरकारों के लिए अनुकरणीय भी है।