गोरखपुर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय दर्जे की योगी ने फिर भरी हुंकार

गोरखपुर। भारतीय जनता पार्टी के ‘लोहिया’ पं. दीन दयाल उपाध्याय के जन्मशदी वर्ष पर भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के हक की मांग उठाई है। उनके नाम पर संचालित इकलौते पं. दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिए एक बार फिर योगी ने सदन में हुंकार भरी।
लोकसभा संचालन के अधिनियम-377 के अधीन यह मांग उठाते हुए योगी ने कहा कि गोरखपुर उ.प्र. का एक प्रमुख धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र होने के साथ-साथ पूर्वी उ.प्र. का एक प्रमुख व्यापारिक और शिक्षा का केन्द्र भी है। उन्होंने सदन को बताया कि लगभग 3 करोड़ से ऊपर की आबादी के बीच पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के नाम पर एकमात्र विश्वविद्यालय गोरखपुर में स्थित है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1956-57 में हुई थी। यह विश्वविद्यालय न केवल पूर्वी उ.प्र. अपितु बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र की उच्च शिक्षा की आवश्यकता की पूर्ति का एकमात्र केन्द्र है। राज्य सरकार के संसाधन सीमित होने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने और सम्पूर्ण क्षेत्र के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास में विश्वविद्यालय की जो महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए, वह अत्यन्त ही सीमित रह गई है।
योगी ने पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह वर्ष पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का जन्मशती वर्ष है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर देश का यह एकमात्र विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा, ‘सदन के माध्यम से मेरा केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि गोरखपुर के धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी को देखते हुए दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर (उ.प्र.) को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जाए।’