हाथरस: बढ़ते दबाव से झुकी सरकार, एसपी, सीओ समेत पांच निलंबित


हाथरस: हाथरस गैंगरेप मामले में प्रदेश सरकार ने SIT की शुरूआती रिपोर्ट के आधार पर एसपी विक्रांत वीर सिंह, सीओ राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह और हेड मोहर्रिर महेश पाल को निलंबित कर दिया है. सभी निलंबित अधिकारीयों का नार्को टेस्ट किया जायेगा. पीड़ित परिवार का भी नार्को टेस्ट होगा. वहीँ अब हाथरस के एसपी का पदभार विनीत जायसवाल को सौंपा गया है.
हाथरस में पहले जहां मासूम बच्ची के साथ रेप जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया. वहीं इलाज के दौरान मौत के बाद मासूम के शव के साथ शासन ने बर्बरता की सारी हदे पार कर दी. न ही शव को परिवार के सुपुर्द किया गया और न ही परिवार के सदस्यों को मासूम का शव देखने की इजाजत मिली. हद तो तब पार हो गई जब अंतिम संस्कार के नाम पर मासूम के शव के साथ खिलवाड़ किया गया. निर्लज प्रदेश की सरकार और प्रशासन को जरा भी शर्म नहीं आया जब बच्ची के शव को पेट्रोल डालकर जला दिया गया.
इस वाक्ये के बाद से ही प्रदेश सरकार और प्रसाशन की लगातार आलोचना होने लगी. सरकार की नीति पर सवाल उठने शुरू हो गए. आनन-फानन में एसआईटी का गठन कर दिया गया. 7 दिनों में मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी गई. लेकिन इस दौरान भी पुलिस अधिकारीयों की गुंडई चरम पर रही. मासूम
के परिवार से मिलने जा रही महिला वकील को रोकते हुए पुलिस महकमे ने जमकर बतमीजी की. इसके बाद महिला मीडिया कर्मचारियों से भी अभद्रता की गई.
भले ही कुछ अधिकारीयों को निलंबित कर दिया गया हो, लेकिन सवाल अब भी पूछे जायेंगे. आखिर किसके सह पर अधिकारीयों ने मानवता को तार-तार कर दिया. क्या इतने मात्र से ही पीड़िता बच्ची को इन्साफ मिल जायेगा. सरकार को अपनी नाकामी मानते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.
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