बदलने वाला है भारत का इतिहास, ये पहली महिला है जिसे दी जाएगी फांसी

लखनऊ: आजाद हुए भारत देश में आज तक कभी नहीं हुआ की किसी महिला (Woman) को फांसी की सजा सुनाई गई हो। लेकिन अब इतिहास बदलने वाला है, आज ही आजाद भारत में एक महिला कैदी को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई। ऐसा उत्तर प्रदेश में होने जा रहा है, यहां के मथुरा जेल में अमरोहा की रहने वाली शबनम को महिला (Woman) फांसी घर में लटकाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि अभी तक फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने वाले पवन जल्लाद ने दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर लिया हैं।
क्यों सुनाई गई मौत की सजा
मामला अमरोहा जिले का है, यहां के बावनखेड़ी गांव में रहने वाले शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम ने बहुत ही दर्दनाक घटना को अंजाम दिया था जिसे जानकर आपकी भी रूह कांप उठेगी। प्यार में अंधी बेटी ने अपने माता-पिता से खून के रिश्तो का ही कत्ल कर दिया। प्रेम में अंधी बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14 अप्रैल 2008 की रात को अपने माता-पिता और 10 माह के मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद से पूरा देश हिल गया था।
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13 साल बाद सुनाई गई सजा
अमरोहा में हुए खूनी खेल को 13 साल बीत गए है। शनबन और उसके प्रेमी सलीम के गुनाहों की सजा अब करीब 13 साल बाद सुनाई गई है। अब इनके गुनाहों की कहानी खत्म होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। शबनम और उसके प्रेमी सलीम ने अपनी जान बचाने के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका डाली थी। लेकिन राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया। लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा।
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150 साल पहले बनाया गया था महिला फांसीघर
आपको बता दें कि यूपी के मथुरा जेल में 150 साल पहले अग्रेजों के जमाने में ही महिला फांसीघर बनाया गया था। लेकिन भारत देश के आजाद होने के बाद अभी तक किसी महिला को फांसी नहीं दी गई। वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी तक शबनम की फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी। बिहार के बक्सर से फांसी के लिए रस्सी मंगवाई जा रही है। पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुका है।