इतिहस ने आज के दिन एक महान Scientist को खोया था, बचपन में 4 साल तक एक शब्द नहीं बोल पाए अचानक बोले पूरा वाक्य
हर शख्स जीनियस (Genious) है, लेकिन अगर आप एक मछली को पेड़ पर चढ़ने की काबिलियत के हिसाब से आकेंगे तो मछली सारी उम्र यही सोचती रहेगी कि वो बेवकूफ है।”

लखनऊ: आज हम बात करेंगे इतिहास के उस महान व्यक्ति की जो सदियों पहले अपने दिमाग को दुनिया के सामने लोहा मनवा चुके है। बच्चे जब स्कूल में इनके आविष्कार और थ्योरिज को पढ़ते है तो पहले इनसे नफरत करते है। लेकिन जब उनकी थ्योरिज को समझते है तो उनके फैंन हो जाते है। कई के अंदर उनके जैसे बनने का जुनुन भी भर जाती है। इस महान वैज्ञानिक (Scientist) का नाम अल्बर्ट आइंस्टीन है। आज 18 अप्रैल के दिन उनका निधन हुआ था। साल 1955 में निधन के समय उनकी उम्र 76 वर्ष थी। हालांकि आइंस्टीन का बचपन उनकी बाद की छवि से बिल्कुल अलग था।
गणित और विज्ञान के इतिहास में लोकप्रिय
स्कूल से निकाले लगे और वेबकूफ आइंस्टीन के भुलक्कड़ी के किस्से भी कमाल के है। उनकी खराब याददाश्त को लेकर कई बातें वैज्ञानिक तबके में बताई जाती रही थीं। “हर शख्स जीनियस (Genious) है, लेकिन अगर आप एक मछली को पेड़ पर चढ़ने की काबिलियत के हिसाब से आकेंगे तो मछली सारी उम्र यही सोचती रहेगी कि वो बेवकूफ है।” यह विचार भी उस बेवकूफ शख्स के हैं जिसे बचपन में उसके शिक्षकों ने स्कूल छोड़ने की सलाह दी थी। आगे चलकर उस व्यक्ति ने विज्ञान के क्षेत्र में वो कमाल किए कि आज हर स्कूली बच्चा उनके आविष्कार और थ्योरिज को पढ़ता है। यह गणित और विज्ञान के इतिहास में लोकप्रिय है। अल्बट ऊर्जा और द्रव्यमान (Energy & Mass) से संबंध को समझाया था। और इसमें उन्होने काफी रिर्सच भी किया था।
4 सालों तक उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला
मार्च 1879 में जर्मनी में एक यहूदी इंजीनियर के घर जन्मे अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में कहा जाता है कि जन्म के लगभग 4 सालों तक उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला था।। इस बारे में आइंस्टीन ने खुद एक लेखक Carl Seelig को बताया था कि कैसे 2 साल का होने पर उनके दादा-दादी उनसे मिलने आए और एकदम चुप बच्चा देखकर उन्होंने पूरे परिवार को चिट्ठी लिखकर यह बात बताई थी। घरवालों ने उस जमाने के हिसाब से आइंस्टीन की खूब जांच करवाई। सबने एक सुर में कहा कि बच्चा बिल्कुल ठीक है लेकिन कोई भी बच्चे के न बोलने की वजह नहीं बता सका। एक रात डिनर टेबल पर गर्मागर्म सूप पीते हुए आइंस्टीन का मुंह जल गया। टेबल पर साथ खा रहे घरवालों को तब बच्चे के मुंह से एक पूरा वाक्य सुनाई दिया- सूप कितना गर्म है।
University से लौटते हुए भूले घर का पता
युवा आइंस्टीन के कमजोर याददाश्त को लेकर कहा जाता है कि वह अपने घर का पता भी भूल जाते थे। वह तब जर्मनी से अमेरिका जाके बसे थे और वहां Institute of Advanced Study in Princeton में पढ़ा रहे थे। यूनिवर्सिटी से लौटते हुए एक बार वे टैक्सी में बैठे लेकिन घर का पता भूल गए। टैक्सीवाले के पूछने पर उन्होंने उल्टे पूछा- तुम अल्बर्ट आइंस्टीन का घर जानते हो क्या?
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इस पर ड्राइवर ने कहा कि हां, मुझे पता है। आप उनसे मिलना चाहते हैं तो मैं आपको उनके घर तक पहुंचा सकता हूं। ड्राइवर ने उन्हें घर पहुंचाया, तब जाकर आइंस्टीन ने उसे अपना परिचय दिया।