27 जुलाई गुरु पूर्णिमा: विधि विधान से शुरू करें गुरु का पूजन, इस मंत्र का करते रहें जाप

बात शाश्त्रों की हो या दुनिया की हमेशा से गुरु को सबसे ऊपर का दर्जा दिया गया है। भारत में गुरुओं को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है तथा गुरुओं की पूजा की गई है तथा गुरुओं का सम्मान करना परम कर्तव्य माना गया है। हमें बचपन से ही सिखाया जाता है की गुरुओं का आदर करो, गुरुओं की बात मानो, उनके कथित मार्ग पर चलो सफलता ज़रूर हासिल होगी। गुरु के आदर के लिए हम दिवस भी मनाते हैं।
27 जुलाई गुरु पूर्णिमा: विधि विधान से शुरू करें गुरु का पूजन, इस मंत्र का करते रहें जाप
साल का आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू के नाम ही अर्पित कर दिया गया है। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में देशभर में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस बार गुरू पूर्णिमा कई तरह से खास है। इस बार पूर्णिमा पर सबसे बड़ा चन्द्रग्रहण भी लग रहा है।
बहरहाल बात करें गुरू पूर्णिमा की तो इस दिन पर गुरू की पूजा का विधान है। इस दिन खास तौर पर शास्त्रों में आदि गुरू महर्षि वेद व्यास की पूजा की जाती है। महर्षि वेद व्यास को गुरूओं में सबसे बड़ा दर्जा प्राप्त है। गुरू को पूजने की परंपरा प्राचीन काल से हर युगों से चली आ रही है।
अगर हम बात करें प्राचीन काल की तो पहले शिक्षा दीक्षा के लिए गुरूकुल होते थे। छात्र वहीं शिक्षा ग्रहण करते थे और गुरू की सेवा करते थे। एक दिन गुरू के लिए निर्धारित था जिसमें वे अपनी श्रद्धानुसार व सेवाभाग प्रकट करने के लिए गुरू को दक्षिणा आदि देते थे। भले ही अब गुरूकुल पहले की माफिक नहीं हैं लेकिन गुरू को सम्मान देने की परंपरा आज भी जारी है।
गुरु पूर्णिमा पर सर्वप्रथम वेद व्यास की पूजा होती है। इसके बाद अपने गुरु की पूजा की जाती है। आज के दौर में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान कई गुरू बदल जाते हैं। ऐसे में लोग जिन्हें सबसे ज्यादा मानते हैं उनकी पूजा करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं। गुरू के रूप में शिक्षा देने वाले अध्यापक के अलावा माता-पिता और भाई-बहन को भी माना जा सकता है।
गुरू पूर्णिमा पूजन विधि-
गुरु पूर्णिमा की सुबह जल्दी सोकर जागें। सुबह उठने के बाद घर की सफाई करें और स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद जो भी गुरु आपके करीबी रहे हों उन्हें वस्त्र, फल-फूल, माला और दक्षिणा अर्पित कर उनका आशीर्वाद लें। इसके बाद इस गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये…. मंत्र का जाप कर पूजन करें और गुरू का सम्मान करने का संकल्प लें।
यह सब करने से आपको गुरु के आशीर्वाद की प्राप्ति होगी जिससे आपको जीवन के मोड़ पर सफलता जरूर प्राप्त होगी।