जानिये कैसे शुरू हुई इन मशहूर फिल्म कंपनियों के नाम और प्रतीक चिन्हों के बारे में

बॉलीवुड और हॉलीवुड के नामचीन प्रोडक्शन हाउस के ‘लोगो’ और फिल्म कंपनियों के नाम की कहानी और प्रोडक्शन हाउस की फिल्म, फिल्म कंपनी का नाम और ‘लोगो’ यानी प्रतीक चिन्ह उसकी पहचान हाती है। ‘धर्मा प्रोडक्शन्स’ ने अपनी पहचान को बदला है। करण जौहर की ‘धर्मा प्रॉडक्शन्स’ ने ‘कुछ कुछ होता है’, ‘कभी खुशी कभी गम’ और ‘कल हो न हो’ जैसी फिल्में बनाईं।

अपनी आने वाली फिल्म ‘भूत- पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप’ के प्रमोशन के लिए ‘धर्मा प्रोडक्शन्स’ ने अपने ‘लोगो’ में ही कुछ बदलाव किए। करण जौहर ने अपनी कंपनी ‘धर्मा प्रोडक्शंस’ के ट्विटर अकाउंट का ‘लोगो’ काला कर दिया है और कवर स्टोरी में लिखा है- ‘डार्क टाइम्स बिगिन नाओ।’

राजश्री फिल्म्स के सूरज बड़जात्या ने ‘हम आपके हैं कौन’, ‘मैंने प्यार किया’ और ‘हम साथ साथ हैं’ जैसी पारिवारिक फिल्में बनाई हैं। कमल ने कहा, “पिताजी सरस्वती मां को बहुत मानते थे और कहते थे कि जो फिल्में बनेंगी वो ऐसी होंगी कि पूरा परिवार देख सके।”

‘यशराज फिल्मस’ की शुरुआत हुई फिल्म ‘दाग’ से। साल 1973 में आई यह फिल्म बतौर निर्माता यश चोपड़ा की पहली फिल्म थी। ‘बॉम्बे टॉकीज’ की स्थापना हिमांशु राय, देविका रानी और राज नारायण दुबे ने की थी। साल 1934 में बॉम्बे टॉकीज ने काम करना शुरू किया। इसके लोगो में हिमांशु राय और राज नारायण दुबे की तस्वीर है। हिमांशु राय ने साइलेंट फिल्में भी बनायीं और टॉकीज भी।

दिलीप कुमार, अशोक कुमार और मधुबाला ने ‘बॉम्बे टॉकीज’ के साथ अपने करियर की शुरुआत की। इस प्रोडक्शन हाउस के साथ राजकपूर, सत्यजीत रे, बिमल रॉय और किशोर कुमार ने भी काम किया। कुछ प्रोडक्शन हाउस अब तक फिल्में बना रहे हैं- जैसे यशराज और राजश्री।

मुंबई के चेम्बूर में स्थित ‘आरके फिल्म्स’ की आख़िरी फिल्म आई थी साल 1999 में जिसका नाम था ‘आ अब लौट चलें।’