जानिए Dr. Rammanohar Lohia का राजनीतिक सफ़र, PM और CM ने दी श्रद्धांजलि
दिग्गज समाजवादी पार्टी के भारतीय राजनीतिज्ञ नेता डॉ राम मनोहर लोहिया (Dr. Rammanohar Lohia) की आज जयंती है। तमाम नेता-राजनेता उनको याद कर रहे हैं।

नई दिल्ली: दिग्गज समाजवादी पार्टी के भारतीय राजनीतिज्ञ नेता डॉ राम मनोहर लोहिया (Dr. Rammanohar Lohia) की आज जयंती है। तमाम नेता-राजनेता उनको याद कर रहे हैं। डॉ लोहिया की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Modi) और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) ने उनको नमन करते हुए सादर श्रद्धांजलि दी।
Dr. Ram Manohar Lohia is one of the most remarkable personalities of 20th century India. He combined scholarly zeal with a penchant for grassroot level politics. His rich thoughts continue to shape socio-political discourse. I bow to Dr. Lohia on his Jayanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2018
भारत की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ऐसे कई नेता हुए जिन्होने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया उन में से एक राम मनोहर लोहिया भी थे। राममनोहर लोहिया ने अपने राजनीति तकनीक से देश में कई बदलाव लाए आजादी से पहले ही ला दी थी। आपको बता दें, राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 में हुआ था। उनके पिताजी श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे।
Rammanohar पर कैसे हुआ गांधी का असर
जब भी उनके पिता गांधी जी से मिलने जाते तो हमेशा राम मनोहर को साथ लेकर जाया करते थे। इसका उन पर गहरा असर पड़ा। जब वह ढाई वर्ष के थे तो उनकी माता चन्दा देवी का देहान्त हो गया। माता की मृत्यु के बाद उन्की दादी और सपयूदेई परिवार की लेविका ने उन्हें पाला। टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुए।
यह भी पढ़े
- Colorado सुपरमार्केट में गोलियों की बौछार, पुलिस अधिकारी समेत इतने लोगों की मौत
- MP: भीषण सड़क हादसे में 13 लोगों की मौत, CM ने मुआवजे का किया ऐलान
अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण वह अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के मध्य भी अपार सम्मान हासिल किया। पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए। बनारस से इंटरमीडिएट और कोलकता से स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए लंदन के स्थान पर बर्लिन का चुनाव किया था।