घर में पकाएं बांस का चावल (Bamboo Rice) , हेल्थ और स्वाद दोनों सुधर जाएगा
चावल असल में बांस के मरने वाले गोली का बीज होता है जिसको बनाने में लगभग 60 वर्ष तक का समय लग जाता है।

नई दिल्ली: चावल के बहुत सारे प्रकार और रंग होते हैं। चावल की भी अलग-अलग तरह से खेती की जाती है। वहीं एक चावल ऐसे भी होता है जिसका नाम बैम्बू राइस है जिसे लोकल भाषा में मुल्यारी भी कहा जाता है। बैम्बू राइस सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।
बता दें कि बांस का चावल यानी बैंबू राइस, जंगल में रहने वाले आदिवसियों द्वारा उगाया जाता है। इसके सेवन से कई तरह की बीमारियों से राहत मिल सकती है। यह चावल असल में बांस के मरने वाले गोली का बीज होता है जिसको बनाने में लगभग 60 वर्ष तक का समय लग जाता है।
यह ना केवल आदिवासियों द्वारा उगाया जाता है, बल्कि बांस के चावल आदिवासियों की आय का एक मुख्य श्रोत भी है। हालांकि यह बाजारों में नहीं मिलता इसे आप ऑनलाइन ही खरीद सकते हैं। आप बैंबू राइस का इस्तेमाल करके कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं बैंबू राइस के फायदों के बारे में-
मधुमेह
अगर आप मधुमेह यानी की डायबिटीज के रोगी हैं तो आपको बैंबू राइस का सेवन करना चाहिए। दरअसल बैम्बू राइस के अंदर लिनोलेइक एसिड अच्छी मात्रा में पाया जाता है। यह एक बेहद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। महिलाएं भी डायबिटीज़ से बचने के लिए बैम्बू राइस का सेवन कर सकती हैं।
हड्डियां होंगी मजबूत
बैंबू राइस में फ्लेवोनोइड, एल्कलॉइड और पॉलीसेसेराइड, गुण होते हैं, जिसे एंटीऑक्सीडेंट भी कहा जाता है। यह जोड़ों के दर्द, कमर दर्द में लाभ पंहुचाते हैं। हड्डियों के दर्द से आराम पाने के लिए आपको बैंबू राइस का सेवन जरूर करना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल को करें कम
बैम्बू राइस में फाइबर और फाइटोस्टेरॉल के गुण होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए सहायक होते है। दरअसल फाइटोस्टेरोल्स अपने अवशोषण को अवरुद्ध करके खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) के स्तर को कम करते हैं। इसके अलावा बैम्बू राइस खाने से पेट भरा रहता है और यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है।
यह भी : मोंटी पनेसर का बड़ा दावा, क्या कप्तानी छोड़ देंगे कोहली?
कैसे करते हैं बैंबू राइस का सेवन?
बैंबू राइस का सेवन अन्यस किस्मह के चावलों की तरह ही किया जाता है। यह खाने में बहुत नर्म होते हैं और स्वामद में बहुत मीठे होते हैं। यही कारण है कि इनका सेवन ज्याेदातर खिचड़ी के रूप में किया जाता है। कहते हैं कि पकने के बाद इन चावलों की बनावट में अंतर आ जाता है।
यह भी : पैंगोंग झील से अपने सैनिक पीछे हटाएगा चीन, रक्षा मंत्री ने किया संसद में एलान