इस्तीफे के बाद महबूबा ने दिया बड़ा संदेश, इस योजना को बताया बेकार

श्रीनगर। इस्तीफा दे चुकीं जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को दावा किया कि राज्य में बल प्रयोग की नीति कार्य नहीं करेगी। उन्होंने पीडीपी नीत गठबंधन से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलग होने के बाद सरकार गठन के लिए अन्य किसी भी पार्टी से गठबंधन की बात को खारिज कर दिया। राज्यपाल एन.एन. वोहरा को इस्तीफा सौंपने और अपने पार्टी साथियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए महबूबा ने पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की सफलता का जिक्र किया और बल प्रयोग नीति के खिलाफ चेतावनी जारी की।
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उन्होंने कहा, “हम इस बात पर अटल हैं कि जम्मू एवं कश्मीर में बल प्रयोग की नीति कार्य नहीं करेगी। हम राज्य के साथ शत्रु क्षेत्र जैसा बर्ताव नहीं कर सकते।”
लेकिन उन्होंने आतंकियों पर भी निशाना साधा।
महबूबा ने कहा, “संघर्षविराम लोगों की जिंदगियों में राहत लेकर आया था, लेकिन दुर्भाग्यवश दूसरे पक्ष (अलगाववादियों) ने कोई सकरात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी और इसके बजाय वह संघर्षविराम को खत्म करना चाहते थे।”
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पीडीपी नेता ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का भाव है।
उन्होंने कहा, “गौरक्षकों द्वारा कई घटनाओं को अंजाम दिया गया। हमने इन्हें सावधानीपूर्वक, तरीके से निपटाया और राज्य के तीनों क्षेत्रों को साथ रखने का प्रयास किया।”
महबूबा ने कहा, “हमारे कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर जूझे। हमने सुलह और संवाद के लिए अथक प्रयास किए और हम भविष्य में ऐसा करना जारी रखेंगे।”
मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि उनके दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कई बार विचार-विमर्श करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया था।
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उन्होंने कहा, “समझौते और वार्ता के आधार पर गठबंधन के एजेंडे पर कार्य करने में हमें कई महीने लगे थे। भाजपा ने हमें जम्मू क्षेत्र में समर्थन दिया था और पीडीपी ने उसे घाटी में समर्थन दिया था।”
महबूबा ने कहा, “हमें संविधान के अनुच्छेद 370 और राज्य के विशेष दर्जे के बारे में आशंका थी। हमने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए की रक्षा की है।”
उन्होंने कहा कि युवाओं के खिलाफ 11,000 मामलों को वापस लिया गया, संघर्षविराम की घोषणा और अलगाववादियों से बातचीत की पेशकश की गई।
भाजपा के अचानक समर्थन वापस लेने के फैसले ने चौंकाया? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “मुझे किसी ने नहीं चौंकाया..हमें कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस से समर्थन की पेशकश मिली है, लेकिन हमने भाजपा को सुलह और संवाद के लिए संरेखित करना चुना, क्योंकि इस पार्टी ने देश की सत्ता संभाली थी।”
उन्होंने कहा, “गठबंधन तोड़ना भाजपा का विशेषाधिकार था और उन्होंने ऐसा किया।”