आप के बाग़ी विधायक ने केजरीवाल पर चलाया कानूनी चाबुक, दायर की याचिका

नई दिल्ली| आम आदमी पार्टी (आप) के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की जिसमें उन्होंने न्यायालय से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सदन में कम उपस्थिति को देखते हुए उन्हें सदन के सत्र में अधिक शामिल होने का निर्देश देने की मांग की है। अपनी याचिका में मिश्रा ने मांग करते हुए कहा कि केजरीवाल को सदन के सत्र में उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाए और सभी विधायकों के लिए सदन में 75 फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य करने का प्रावधान बनाया जाए।
याचिका के अनुसार, अगर सदन में विधायकों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम रहती है तो उप राज्यपाल को इसका निर्देश दिया जाए कि वह विधायकों के लिए ‘काम नहीं, भुगतान नहीं’ की व्यवहार्यता पर विचार करें। उन्होंने अदालत से यह आग्रह भी किया कि अदालत उपराज्यपाल और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष को सदन में केजरीवाल की उपस्थिति सुनिश्चित करने और जनहित से संबंधित प्रश्नों का जवाब देने के लिए निर्देशित करे।
मिश्रा ने मांग करते हुए कहा कि केजरीवाल को अपने प्रदर्शन के दर्शाते हुए एक वार्षिक रिपार्ट भी पेश करनी चाहिए। केजरीवाल को उनके विधानसभा क्षेत्र और दिल्ली को लोगों को यह सूचित करने की जरूरत है कि सदन में उनकी उपस्थिति कैसी रही, कितने प्रश्नों का जवाब उन्होंने दिया, विभिन्न नीतियों पर उनके द्वारा बनाए गए कानून की समझ और मूल्यांकन कैसा है, अपने विधानसभा क्षेत्र में कितना समय उन्होंने बिताया और साथ ही अपनी संपत्ति का खुलासा करें।
मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा कि मुख्यमंत्री, जो कि जल मंत्री भी हैं, पिछले वर्ष आयोजित 27 सत्र में केवल 7 में ही मौजूद थे। यह बताने की जरूरत नहीं है कि दिल्ली हरवर्ष पानी की समस्या से जूझती है। बीते 40 महीनों में प्रश्न काल के दौरान केजरीवाल कभी भी मौजूद नहीं रहे। यह दिखाता है कि मुख्यमंत्री दिल्ली से संबंधित चर्चा और इसके विकास के प्रति कितने गंभीर हैं।
मिश्रा ने अपनी याचिका में बताया है कि केजरीवाल मानसून सत्र 2017 में अनुपस्थित रहे, जिसे लंबित विधेयकों को पेश करने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल ने अक्टूबर 2017 और इस वर्ष जनवरी के विशेष सत्र में मौजूद नहीं थे।
मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा कि मार्च 2018 में, केजरीवाल बजट सत्र के दौरान अनुपस्थित थे, जोकि दिल्ली सरकार के इतिहास में कभी नहीं हुआ। जून 2018 में, केजरीवाल 6 जून से 10 जून के दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर बुलाए गए विशेष सत्र में मौजूद नहीं थे।