मधेसियों के आगे झुका नेपाल, खुश हुआ भारत

काठमांडू। नेपाल सरकार मधेसियों के आगे झुक गई है। सरकार ने नए संविधान में संशोधन करने का फैसला कर लिया है। मधेसी आनुपातिक प्रतिनिधित्व और निर्वाचन क्षेत्र की परिसीमन की मांग कर रहे थे।
इसकी वजह थी कि नेपाल के तराई इलाकों में मधेसियों की जनसंख्या 52 फीसदी के करीब थी। अब संविधान संशोधन के फैसले को मधेसियों की मांगों का हल निकालने में अहम कदम माना जा रहा है।
नेपाल सरकार के इस फैसले पर भारत ने खुशी जताई है। नेपाल के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कमल थापा ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को बताया है कि नेपाल की कैबिनेट ने मधेसियों के आंदोलन को ख़त्म करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि नेपाल में जल्द ही जन जीवन सामान्य होगा।
मधेसियों ने अपने आंदोलन के दौरान भारत से लगी सीमा को बंद कर दिया था जिसके चलते नेपाल में आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। अगस्त से लेकर अब तक मधेसियों के विरोध प्रदर्शन के चलते 50 भारतवंशी मारे जा चुके हैं।
मधेशी पार्टियां बीते चार महीने से नए संविधान का विरोध कर रही थीं। उन्होंने अपनी दो मांगे सामने रख दी थीं। हालांकि नेपाल ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार माना था। यूएन में नेपाल ने भारत की शिकायत भी की थी। अब मामला सुलझने के बाद हालात सामान्य होने के आसार बढ़ गए हैं।