नए कुलपति को विरासत में मिलेंगी पुरानी समस्याएं

इलाहाबाद । पूरब के आक्सफोर्ड कहे जाने वाले विश्वविद्यालय में डेढ़ साल तक कुलपति का पद खाली रहने के बाद इस पद पर रतनलाल हांगलू की नियुक्ति की गई है। कार्यभार संभालते हुए प्रो. हांगलू विश्वविद्यालय की खोई गरिमा को वापस लाने की बात दोहरायी।
पिछले कुछ सालों में विश्वविद्यालय की गरिमा काफी हद तक गिर चुकी है। बचा सिर्फ यह है कि छात्रों के बीच इसका महत्व कम नही हुआ है। विश्वविद्यालय में पठन पाठन काफी निचले स्तर पर जा चुका है। राजनीति और अराजकता अपने चरम पर है। विश्वविद्यालय की अध्यक्ष ऋचा सिंह कई बार विश्वविद्यालय परिसर से व्याप्त आराजकता खत्म करने की बात कर चुकी हैं।
विश्वविद्यालय इतना हताश क्यों है
पदभार संभालते हुए प्रो. रतनलाल हांगलू ने कहा,कि हमें कुछ ऐसी पहचान बनानी है कि पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इस विवि को लोग इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट कहें और विश्वविद्यालय अपनी खोई चीजे पुन: प्राप्त कर सके। यहां का कोई स्टूडेंट अभी तक वैज्ञानिक, समाजशास्त्री नहीं बन पाया। यह एक चिंता का विषय है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसी यूनिवर्सिटी हो जिसकी गोद में 5 प्रधानमंत्री खेले हो देश को 5 प्रधानमंत्री देने वाला यह विवि हाशिए पर क्यों है ये जरुर सोचने वाली बात हैं।
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समस्याओं से होना पड़ेगा रूबरू
विश्वविद्यालय में पहले से कई समस्याएं कुलपति के सामने मौजूद हैं। जिन समस्याओं की वजह से कुलपति ने इस्तीफा दिया था वे अभी भी विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद हैं। उन समस्याओं का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है। अब देखना यह होगा की कुलपति प्रो. हांगलू किस हद तक समस्याओं के निराकरण में सफल हो पाते हैं। वैसे विश्वविद्यालय परिसर के माहौल की बात करें तो समस्याओं पर विजय पाना काफी दूभर कार्य है।
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इन समस्याओं से होगा सामना
विश्वविद्यालय का सबसे बड़ी समस्या यह है की पढ़ाई की व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ-साथ विश्वविद्यालय परिसर से अराजकता अपने चरम पर है। इसके अलावा विश्वविद्यालय कर्मचारियों के स्थाई नियुक्ति का मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है। इसके अलावा छात्रावासों की कमी, मौजूद छात्रावासों से अवैध कब्जा, साफ-सफाई की व्यवस्था, विभागों में मौजूद शिक्षकों की कमी को दूर करना, लाइब्रेरी में मौजूद अव्यवस्था को दूर करने जैसी समस्याएं कुलपति की दहलीज पर इंतजार कर रही हैं।