CBFC कौनसे आधार पर जारी करता है सर्टिफिकेट, दूरदर्शन को सेंसर की जरूरत नहीं

भारत में हर साल छोटी-बड़ी हजारों फिल्में बनती हैं। समाज को क्या दिखाना उचित है क्या नहीं, इसका निर्णय भारत में एक संस्था करती है जिसका नाम है सेंसर बोर्ड यानी की केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड। केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड भारत में फिल्मों, टीवी सीरियलों, टीवी विज्ञापनों की सामग्री की समीक्षा करने के लिए है।

सेंसर बोर्ड भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन है। इस वक्त सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी हैं। भारत में फिल्मों को 4 तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं। इन फिल्मों का बारिकी से निरीक्षण करने के लिए रिव्यूअर की एक टीम बैठती हैं जो इस बात का पूरा ख्याल रखती है कि फिल्म से किसी खास वर्ग की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। अगर फिल्म में कहीं पर भी जानवरों को दिखाया गया है, तो उसके लिए ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ लेने की भी जरूरत होती है। ‘यू’ यानी ऐसी फिल्मों को हर कोई देख सकता है। पिछले साल रिलीज हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ को यू सर्टिफिकेट मिला था।

‘ए’ कैटेगरी की फिल्में केवल व्यस्कों यानी की 18 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्ति ही देख सकते हैं। हाल ही में रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म तानाजी को भी यही सर्टिफिकेट मिला है। ‘एस’ कैटगरी की फिल्में कुछ खास वर्ग के लोगों को दिखाने की अनुमति होती है।अगर फिल्म में डबिंग हुई है तो उसके लिए डब सर्टिफिकेट भी चाहिए होता है।
आपको बता दें केवल दूरदर्शन के लिए बनाई गई फिल्मों के लिए CBFC के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि दूरदर्शन को इस प्रकार के सर्टिफिकेट से छूट प्रदान की गयी है। इसके अलावा दूरदर्शन के पास ऐसी फिल्मों की जांच करने की अपनी प्रणाली है। साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए किसी भी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ती।