नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर दोपहर 2 बजे से सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि मुख्य पक्षों के अलावा जिन लोगों ने भी दलील रखने की अर्जी दी है, उन्हें बाद में सुना जाएगा। पहले मुख्य पक्षों की सुनवाई होगी। साथ ही कहा कि अयोध्या मामला भूमी विवाद है। चीफ जस्टिस ने कहा, कृपया सभी पक्ष इस मामले को भूमि विवाद की तरह ही देखें। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी है कि कई कागजात पूरे नहीं हैं। कोर्ट ने फैसला किया है कि मामले की अगली सुनावाई 14 मार्च को होगी। कोर्ट ने साथ ही साफ किया कि इस मामले में अब कोई नया पक्षकार नहीं जुड़ेगा। मामले की अगली सुनवाई अब 14 मार्च को होगी।
मामले की सुनवाई से पहले सभी पक्षों ने कोर्ट में दस्तावेज सौंप दिए थे
कोर्ट ने कहा, किताबों का अंग्रेज़ी अनुवाद 2 हफ्ते में जमा करवाया जाए। सभी पक्षों को इन्हें दिया जाए। यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मामले में कुल 504 सबूत और 87 गवाह हैं। मामले की सुनवाई से पहले सभी पक्षों ने कोर्ट में दस्तावेज सौंप दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में बड़ा फैसला दिया है। इससे हपले इसपर 8 दिसंबर को भी सुनवाई हुई थी, लेकिन दस्तावेजों का ट्रांसलेशन नहीं हो पाया था, इसलिए कोर्ट ने तारीख दो महीने और बढ़ा दी थी।
आज सुनवाई में मंदिर-मस्जिद को लेकर फैसला नहीं आना था
बता दें आज सुनवाई में मंदिर-मस्जिद को लेकर फैसला नहीं आना था। आज कोर्ट इस मामले पर रोज सुनवाई करने का फैसला करेगा। मालिकाना विवाद को लेकर इस मामले में दायर हुई याचिकाओं पर आज सु्प्रीम कोर्ट में आज अंतरिम सुनवाई हुई। बीती सुनवाई को ध्यान में रखते हुए आज देश की सवा सौ करोड़ की जनता को उम्मीदें थी कि जल्द ही इस मामले का निपटारा हो सकता है।
बता दें कि इस मामले की पिछली सुनवाई बीते साल 5 दिसंबर को हुई थी। उस समय मुस्लिम पक्षकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने सवाल किया था कि इस मामले की सुनावाई के लिए आखिर इतनी जल्दी क्यों है? इस पर शीर्ष न्यायालय ने साफ कहा कहा था कि आठ फरवरी 2018 से इन याचिकाओं पर इस पीठ में अंतिम सुनवाई शुरू की जाएगी।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने की थी सुनवाई टालने की मांग
पिछली सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस केस की सुनवाई लोकसभा चुनाव तक टालने की मांग की थी। उन्होंने कहा, कृपया होने वाले असर को ध्यान में रखकर इस मामले की सुनवाई कीजिए। कृपया इसकी सुनवाई जुलाई 2019 में की जाए, हम यकीन दिलाते हैं कि हम किसी भी तरह से इसे और आगे नहीं बढ़ने देंगे। केवल न्याय ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये किस तरह की पेशकश है? आप कह रहे हैं जुलाई 2019। क्या इससे पहले मामले की सुनवाई नहीं हो सकती?
क्या है मंदिर-मस्जिद का मामला
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद 1528 से चला आ रहा है। इस विवाद ने सबसे ज्यादा उग्र रूप तब धारण किया जब 6 दिसंबर 1992 में हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया था। इस घटना के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। इसके बाद मस्जिद की तोड़-फोड़ की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।