पांच दशक तक राजनीति के चमकते सितारे रहे राम विलास पासवान नहीं रहे


नई दिल्ली: पांच दशक तक देश की राजनीति के सितारे रहे राम विलास पासवान का 74 साल की उम्र में निधन हो गया। पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कुछ दिन पहले उनके हार्ट की सर्जरी हुई थी। राम विलास पासवान का राजनीतिक करियर कई दशकों पुराना है।
नहीं रहे राम विलास पासवान
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया। इस बात की जानकारी उनके बेटे चिराग पासवान ने दी। चिराग ने ट्वीट कर कहा- ‘पापा… अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।’
पासवान का राजनीति करियर
राम विलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 में खगड़िया के एक दलित परिवार में हुआ था। पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार में प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। उनका राजनीतिक करियर 1969 से शुरु हुआ था। वो पहली बार सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे।
राम विलास पासवान का राजनीतिक करियर पांच दशकों से ज्यादा भी पुराना रहा है। राम विलास पासवान भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे। पासवान 8 बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। उन्हें उस समय बिहार विधानसभा का सदस्य बनाया गया था। जब लालू यादव और नीतीश कुमार पढ़ाई कर रहे थे।
पासवान 1977 में लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट से चुनाव लड़े थे। तब चुनाव में पासवान ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। राम विलास पासवान मौजूदा समय में राज्यसभा सदस्थ थे।

रिकॉर्ड जीत के बाद बने थे कैबिनेट मंत्री
राम विलास पासवान 1977 में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने के बाद फिर से 1980 और 1989 में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। जिसके बाद बनी विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में पासवान को पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। इसके बाद पासवान अलग-अलग सरकारों में रेल मंत्रालय से लेकर कोयला मंत्रालय का पद भार संभाला।
इसी दौरान वे बीजेपी, राजद, जदयू और कांग्रेस के साथ गठबंधन में रहकर केंद्र सरकार के मंत्री रहे। राम विलास पासवान 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी वाली सरकार से इस्तीफा देकर NDA से अलग हो गए थे। इसके बाद वे यूपीए में शामिल हो गए। और मनमोहन सिंह की कैबिनेट में भी दो बार मंत्री रहे।
पासवान 2014 लोकसभा चुनाव से पहले ही एक बार फिर यूपीए से अलग होकर NDA में शामिल हो गए। जिसके बाद 2014 और 2019 में बनी नरेंद्र मोदी की दोनों सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। राम विलास पासवान मौजूदा समय में राज्सयसभा के सदस्य थे।
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