‘जब तोप मुकाबिल हो अखबार निकालो’ नारा किसान का बना हथियार
कृषि कानून के खिलाफ देश भर के किसान संगठन तकरीबन एक महीने से देश की राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ रहे किसान आंदोलन पर रविवार शाम को ब्रेक लग गया।

नई दिल्ली : कृषि कानून के खिलाफ देश भर के किसान संगठन तकरीबन एक महीने से देश की राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के सपोर्ट में पूरा देश एक जुट है और हर संभव मदद के लिए तैयार है। अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों का यह आंदोलन सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक छाया हुआ है। किसानों की इसी लड़ाई को सोशल मीडिया के मैदान पर बढ़ावा देने के मक़सद से सभी सोशल मीडिया हैंडल्स जैसे की फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर ‘किसान एकता मोर्चा’ के नाम से पेज बनाये गए हैं और लगातार इस आंदोलन को हवा दी जा रही है। लेकिन सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ रहे किसान आंदोलन पर रविवार शाम को ब्रेक लग गया।
आपको बता दें कि इस गति पर रोक लगाने का काम फेसबुक ने किया है। फेसबुक ने संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बनाए गए किसान एकता मोर्चा के पेज को ससपेंड कर दिया था। फेसबुक ने पेज को ससपेंड करते हुए कहा था कि, ‘किसान एकता मोर्चा का एकाउंट उनके कम्यूनिटी स्टैंडर्ड का पालन नहीं कर रहा था।’ हालांकि, विवाद के तूल पकड़ने और किसानों के नाराज़गी जताने के बाद फेसबुक ने इस पेज को दोबारा से शुरू कर दिया है। फेसबुक ने कहा है कि, ”किसान एकता मोर्चा के पेज को फिर से लाइव कर दिया गया है, इस कारण हुई परेशानी का हमें दुख है।
ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा #ShameonFacebook
This is what they can do when people raise their voices…….
When they can't beat us ideologically…….#DigitalKisan #SuppressingTheVoiceOfDissent pic.twitter.com/foK6k5zzM3
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) December 20, 2020
किसान एकता मोर्चा ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी और फेसबुक के इस कदम के खिलाफ अपनी आवाज़ उठायी। किसान एकता मंच ने ट्वीट कर कहा है कि जब लोग आवाज उठाते हैं, वे यही कर सकते हैं।” आपको बता दें कि फेसबुक के इस कदम की काफी निंदा की जा रही है और यही नहीं ट्विटर पर तो #ShameonFacebook ट्रेंड कर रहा है।
बता दें किसान आंदोलन को लेकर इंटरनेट पर फैलाए जा रहे अफवाहों पर अपना पक्ष रखने और आंदोलन को सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाने के लिए चार दिन पहले ही सभी सोशल हैंडल्स पर`एकाउंट्स बनाए गए थे। संयुक्त किसान मोर्चा की रविवार देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी, जिसे फेसबुक पेज पर लाइव किया जा रहा था। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की आईटी टीम ने यह पाया कि उनका फेसबुक पेज ससपेंड हो गया है।
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क्या है ‘ट्रॉली टाइम्स’ ?
आपको बता दें कि यही नहीं, किसान कृषि बिल के खिलाफ अपनी लड़ाई की अलख जगाए रखने के लिए एक अखबार भी लेकर आए हैं। इस अखबार का नाम ‘ट्रॉली टाइम्स’ रखा गया है। चार पेज के इस अख़बार को दो भाषाओ ‘हिंदी और पंजाबी’ में लाने का विचार किया गया है। अख़बार को हफ्ते में दो दिन निकालने की योजना है। इसमें किसानों से जुड़े समाचार और उनके विचारों को एक प्लेटफार्म दिया गया है। इस अखबार को लाने के पीछे का दिमाग सुरबीत मावि का है। फिल्म राइटर सुरबीत मावि ने सरकार से लोहा मनवाने के लिए अख़बार का यह दमदार कदम उठाया है।