लो जी ये तो जिंदों को पहुंचाए दे रहे मसान

इलाहाबाद। लालच इंसान को कहां लिये जा रहा है इसकी मिसाल है श्मशान कालोनी बनाकर जिंदा लोगों को बनाने की तैयारी। यानी अब कोई सुरक्षित नहीं है। जरा सा चूके तो बस गये श्मसान मे। बाद में क्या होगा ये तो बाद की बात है। लेकिन हाईकोर्ट इस पर सख्त हो गया है और उसने ग्रेटर नोएडा स्थित आम्रपाली ग्रुप कंस्ट्रक्शन कंपनी को नोटिस जारी कर दिया है।
कंपनी ग्राम चक्रसेनपुर विरांडी में तालाब व शमशान की भूमि पर कब्जा कर उस पर बहुमंजिली इमारत बना कर उस पर लोगों को बसाने की तैयारी में थी। कोर्ट ने डीएम गौतमबुद्धनगर को निर्देश दिया है कि वह इस मामले मे कोर्ट के समक्ष अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें। कोर्ट ने इस बीच तालाब और शमशान की जमीन के कब्जा और अतिक्रमण पर रोक भी लगा दी है।
अगली सुनवाई 9 फरवरी को
यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दादरी गौतमबुद्ध नगर निवासी अनिल मावी की याचिका पर दिया। याचिका पर कोर्ट अगली सुनवाई नौ फरवरी को करेगा। याचिका में डीएम गौतमबुद्ध नगर के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें आम्रपाली ग्रुप द्वारा तालाब व शमशान की भूमि पर कब्जा करने का तथ्य स्वीकार करने के बावजूद कहा गया था कि यदि तालाब व शमशान के लिए नजदीक ही गांव सभा की भूमि पर उपलब्ध करा दी जाती है तो ठीक है, वरना आम्रपाली ग्रुप को दोनों जमीनों से बेदखल कर दिया जाएगा। बेदखली का सारा खर्च भी वसूल किया जाएगा।
जमीनों की प्रकृति परिवर्तन का अधिकार डीएम को नहीं
याचिका में कहा गया था कि डीएम को तालाब और शमशान की जमीनों के प्रकृति परिवर्तन का अधिकार नहीं है। याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार, ग्रेटर नोएडा के गांव विरांडी, चक्रसेनपुर में खसरा संख्या 83 एरिया 2.0110 तालाब और खसरा संख्या 81 एरिया .3540 शमशान की जमीन के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। इसे बाउंड्री बनाकर आम्रपाली ग्रुप ने घेर रखा है। डीएम ने भी अपने आदेश में कब्जा की बात स्वीकार की है।