तापसी ने सिस्टम पर निकाला गुस्सा, बोलीं, ‘मैं रीढ़ बेचकर गुजारा नहीं कर सकती’

नए साल में भले ‘छपाक’ और ‘पंगा’ जैसी नायिका प्रधान फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर अपेक्षित सफलता न मिली हो पर तापसी पन्नू को पूरा भरोसा है कि उनकी फिल्म ‘थप्पड़’ जरूर सफल होगी। तापसी के इस भरोसे की वजह है उनकी ‘पिंक’, ‘मुल्क’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों को मिली सफलता।

पहले साल में एक या दो फिल्में औरतों को केन्द्र में रख कर बनाई जाती थी लेकिन आज महीनों में दो-तीन फिल्में ऐसी देखने को मिलती है। अब वह दस साल पुराने विषय की फिल्में सिरे से नकार देते हैं।
इसी वजह से इस नए दौर में महिला आधारित फिल्में आने लगी हैं। मुझे लगता है कि हमने इस विषय पर पहले काम ही नहीं किया था। हमारे यहां एक अभिनेता की जो फीस होती है वह हमारी फिल्मों का पूरा बजट होता है।
मैं कॉमेडी देखना और करना दोनों ही पसंद करती हूं। मुंबई आने के बाद जब बहुत अधिक व्यस्त नहीं रहती थी तब छुट्टी के दिन मैं स्टैंड अप कॉमेडी देखती ही देखती थी। मैं अपनी रीढ़ बेच कर गुजारा नहीं कर सकती। मेरा तर्क सिर्फ इतना था कि जब हमारी फिल्में आती हैं तब हम ऐसे ही कॉलेजों में अपनी फिल्म प्रमोशन के लिए जाते हैं।

अब अगर उन्हीं छात्रों के साथ हिंसा हुई है और अगर हम इसकी आलोचना भी ना करें तो यह तो सही नहीं होगा। मैं जेएनयू या जामिया से तो नहीं पढ़ी हूं, मेरी पढ़ाई इंद्रप्रस्थ से हुई है लेकिन मैं यह बात समझती हूं कि अगर मेरे कॉलेज में आकर अगर कोई मेरा सिर फोड़ दे तो वह बहुत बड़ा धक्का होगा मेरे लिए। यह किसी भी विचारधारा की बात नहीं है। यह सही और गलत के बारे में है।