2019 के चुनावी प्रचार से लगा रहे है 2022 पर निशाना, राहुल का मास्टरप्लान


लोकसभा चुनाव 2019 के आखिरी और सातवें चरण के नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. बाकी छह चरणों के नामांकन का दौर पूरा हो चुका है. ऐसे में प्रियंका गांधी की जिन पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की चर्चाएं हो रही थीं, उनमें से चार सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. महज वाराणसी सीट बची है, जहां 29 अप्रैल तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकते हैं. इसी बीच वाराणसी सीट पर भी कांग्रेस ने अजय राय के नाम पर मुहर लगा दी है, जिसके बाद प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने का सस्पेंस खत्म हो गया है. फिलहाल प्रियंका इस चुनाव में सिर्फ पार्टी के प्रचार पर फोकस करेंगी.
राहुल की इन बातों का मतलब साफ है कि लोकसभा चुनाव में तो प्रियंका यूपी का नेतृत्व तो करेंगी ही, बल्कि यूपी का 2022 का होने वाला विधानसभा चुनाव भी उनकी ही अगुवाई में लड़ा जाएगा. यही वजह है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव लड़ाने की बजाय विधानसभा चुनाव में फुल फ्लैश उतारने की तैयारी में है.
दरअसल यूपी की जिम्मेदारी के साथ ही प्रियंका को मिशन 2022 के लिए लाने की बात कहने की पीछे की वजह कांग्रेस का यूपी में वजूद बढ़ाने की कोशिश है. 1989 के बाद से कांग्रेस यूपी की सत्ता में कभी नहीं आई. अब तीस साल के करीब हो रहे हैं और कांग्रेस देश के सबसे बड़े राज्य में हर रोज सिमटती जा रही है. यूपी में कांग्रेस की स्थिति खराब होने का असर केंद्र में भी कांग्रेस को देखना पड़ा. 1998 के लोकसभा चुनाव में में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. 1999 के बाद कांग्रेस में जान पड़ी और 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस फिर दो सीट पर सिमट गई. इतना ही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी सपा से गठबंधन के करने के बाद भी कांग्रेस को महज 7 सीटें मिलीं.
प्रियंका गांधी ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के दिग्गज नेताओं को पार्टी से जोड़ा और टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. इसके अलावा प्रियंका ने इन नेताओं से लोकसभा चुनाव लड़ने के साथ-साथ 2022 के विधानसभा चुनाव में भी पूरी ताकत झोंकने की बात की है. ऐसे में साफ है कि कांग्रेस ने अपने ट्रंप कार्ड को 2022 के लिए बचाकर रख लिया है. फिलहाल प्रियंका गांधी खुद मैदान में न उतरकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों को जिताने लिए मेहनत कर रही हैं.