रामायण की आवाज बन दुनिया भर में छाए ये गायक, मन में जलाया आस्था का दीप

रामानंद सागर की रामायण में जो मधुर आवाज आपने सुनी वह रवीन्द्र जैन की है। संगीतकार रवीन्द्र जैन का मुंबई में 71 साल की उम्र में साल 2015 में निधन हो गया था। रवीन्द्र जैन बचपन से ही नेत्रहीन थे लेकिन संगीत के प्रति उनका खास लगाव था। 28 फरवरी 1944 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जन्में रवीन्द्र सात भाई-बहनों में तीसरे नंबर के थे। 1972 में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की।

उन्होंने न सिर्फ अच्छा गाया बल्कि एक से बढ़कर एक संगीत भी दिया। उन्होंने बॉलीवुड के कई प्रसिद्ध गीत लिखे भी हैं। वे उन संगीतकारों में रहे हैं, जिन्होंने कविता, शायरी और गीत की समझ को समेटते हुए लीक से हटकर कुछ गम्भीर तरह का काम किया है।

रवीन्द्र जैन ने बचपन में संगीत की बारीकियां पंडित घंमडी लाल, पंडित जनार्दन शर्मा और पंडित नाथूराम शर्मा से सीखी थीं और बाकायदा प्रयाग संगीत समिति से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली थी। साल 1969 में रवीन्द्र जैन मुंबई पहुंचे। राधेश्याम झुनझुनवाला अपनी एक फिल्म में उनका संगीत चाहते थे। 1971 में रवीन्द्र जैन के संगीत निर्देशन में पहली बार पांच गाने रिकॉर्ड हुए।

1972 में कांच और हीरा की असफलता के बाद उन्होंने फिल्म चोर मचाए शोर, चितचोर, तपस्या, दुल्हन वही जो पिया मन भाए, अंखियों के झरोखों से, राम तेरी गंगा मैली, हिना, इंसाफ का तराजू, प्रतिशोध जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया।

फिल्मों के अलावा रवीन्द्र जैन ने टीवी की दुनिया का मशहूर पौराणिक सीरियल रामायण का भी संगीत दिया था, साथ कई चौपाईयों को उन्होंने अपनी आवाज दी थी। बेशक रवीन्द्र जैन नहीं हैं, मगर उनकी कीर्ति शेष है और वह शाहकार धुन भी जिसे आज भी लोग याद करते हैं।