इस कंपनी की घड़ियाँ लोगों के लिए थीं स्टेटस सिंबल…

नई दिल्ली। चाबी से चलने वाली फेमस HMT की घड़ियों का दौर जल्द ही खत्म होने जा रहा है। HMT घड़ी बनाने वाली तीन यूनिटों को सरकार ने बंद करने का फैसला किया है। इसके वजह ये चाबी से चलने वाली घड़ियाँ अतीत का हिस्सा बन जाएंगी। एक समय था जब एचएमटी घड़ियों का क्रेज था। आइये जानते हैं एचएमटी घड़ियों से जुड़े रोचक फैक्ट्स।
खरीदने को लगती थीं लंबी लाइनें
बिना सेल के चलने वाली एचएमटी की घड़ियाँ चाबी भरने से चलती थीं। इसी खूबियों के कारण एचएमटी घड़ियों की ज्यादा मांग थी। जब ये घड़ियाँ मार्केट में आईं तो इनको खरीदने के लिए लंबी लाइनें लगती थीं। ये घड़ियाँ लोगों की हैसियत बताती थीं। अगर कहा जाए कि एचएमटी घड़ियाँ स्टेटस सिंबल बन गई थीं तो कुछ गलत नहीं होगा। कुछ समय बाद बढ़ते कम्प़टीशन की वजह से मार्केट में इनकी चमक फीकी पड़ गई थी।
एचएमटी का इतिहास
हिंदुस्तान मशीन टूल्स को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1953 में स्थापित किया था। शुरूआती दौर में यह कंपनी केवल ट्रैक्टर और बेयरिंग बनाने का काम करती थी। इसके बाद जापान की सिटीजन वॉच कंपनी की सहायता से इस कंपनी की पहली यूनिट 1961 में स्थापित की गई। इस समय बेंगलुरू के अलावा पिंजोर, कालामस्सेरी, हैदराबाद और अजमेर में यूनिटें चल रही हैं।
यूनिटें बंद करने का कारण
साल 2000 से एचएमटी कंपनी घाटे में चल रही हैं। फाइनेंशियल ईयर 2012-13 में यह घाटा 242.47 करोड़ का हो गया। बढ़ते घाटे को देखते हुए सरकार ने एचएमटी को 2014 में 694.52 करोड़ की आर्थिक मदद दी।
सरकार का फैसला
मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि एचएमटी की तीन यूनिटें बंद कर दी जाएंगी। यूनिटें बंद होने से करीब एक हजार कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार कर्मचारियों को वीआरएस देने के तौर पर 427.48 करोड़ देगी।