इतिहास में पहली बार, सीबीआई छापे में मुख्यमंत्री कार्यालय सील

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के लिए मंगलवार की सुबह अमंगलकारी साबित हुई। भ्रष्टाचार की शिकायत पर दिल्ली सचिवालय में सीबीआई ने छापा मारा। इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दफ्तर को सील कर दिया गया। सीबीआई ने बताया कि यह कार्रवाई अरविंद केजरीवाल के सचिव राजेंद्र कुमार के खिलाफ की गई है। लेकिन सीबीआई यह नहीं बताया कि केजरीवाल का दफ्तर क्यों सील किया गया।
वहीं, इस मामले में दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि सीबीआई सीएम केजरीवाल के दफ्तर की फाइलें जांच रही है। यह पूरी कार्रवाई सीएम केजरीवाल को भरोसे में लिए बिना की गई। सम्भवतः यह इतिहास में पहली बार है कि किसी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के यहाँ सीबीआई की छापेमारी के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को सील कर दिया गया है ।
दस बजते-बजते इस मामले ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया। केजरीवाल टि्वटर पर आक्रामक दिखे। उन्होंने लिखा, ‘सीबीआई छापों को लेकर झूठ बोल रही है।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने भी ट्विटर पर तीखा बयान दिया। शाम को केजरीवाल ने कहा कि मेरे प्रधान सचिव पर लगे आरोप झूठे लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल डीडीसीए मामले में जेटली जी फंस रहे हैं और सीबीआई सचिवालय में जेटली की डीडीसीए की फाइल जांचने आई थी। केजरीवाल ने कहा कि छापेमारी से मुझे बहुत हैरानी हुई क्योंकि शिक्षा विभाग में छापा नहीं मारा गया, और तो और जहां फाइलें रखी गईं है वहां छापे नहीं मारे गए।
ममता ने की निंदा
इससे पहले सुबह ममता ने ट्विट किया, सीएम के ऑफिस को सील किया जाना अभूतपर्व है। मुझे हैरानी हो रही है। ममता की ट्वीट के सहारे केजरीवाल ने केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला किया। उन्होंने रिट्वीट करते हुए लिखा, ‘ममता दी, यह अघोषित आपातकाल है।’
केजरीवाल ने पीएम मोदी पर भी हमला किया। अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर के कहा, ‘इस छापे के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का हाथ है। मोदी मुझसे राजनीतिक तौर पर लड़ नहीं पा रहे इसलिए कायरता दिखा रहे हैं। वह मनोरोगी हैं।’
जवाब में संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि सीबीआई पर कोई सरकारी दवाब नहीं है वो अपने हिसाब से काम कर रही है। छापे की इस कार्रवाई के पीछे सरकार का कोई हाथ नहीं है।
जावड़ेकर बोले, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
मामले ने तूल पकड़ा तो भाजपा की ओर से भी तीखे बयान देने लगी। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘केजरीवाल एक भ्रष्टाचारी को सरंक्षण दे रहे हैं। ये तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे जैसी बात है। सीबीआई छापा तब मारती है जब कुछ गलत होता है। सीबीआई ने एक भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ छापा मारा है। उसको अपना काम करने देना चाहिए। सीबीआई को भ्रष्टाचार की शिकायत मिली तो उसने कार्रवाई की। आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़कर दिल्ली की सत्ता में आई लेकिन अब वह भ्रष्टाचार का ही समर्थन कर रही है।’
शरद यादव भी आए केजरीवाल के साथ
सिर्फ तृणमूल कांग्रेस ही नहीं बल्कि बिहार की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) भी केजरीवाल के साथ आ गई है। जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, ‘अगर मामला अरविंद केजरीवाल ने जुड़ा नहीं हैं तो उनके दफ्तर को सीज किया जाना गलत है।’
जेठली की राज्यसभा में सफाई
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने इस मामले पर कहा कि एक मुख्यमंत्री के ऑफिस पर बिना सूचना दिए छापा कैसे मारा जा सकता है। इस मसले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में सफाई दी। जेटली ने कहा कि केजरीवाल के ऑफिस पर कोई छापा नहीं मारा गया है, सीबीआई जो कार्रवाई कर रही है वो उनके सचिव राजेन्द्र कुमार पर की जा रही है जिनपर भष्टाचार के आरोप है। जेटली की इस सफाई के बाद एक बार फिर केजरीवाल ने ट्वीट किया और कहा कि जेटली भी झूठ बोल रहे हैं।
सीबीआई ने क्यों मारा छापा
सीबीआई चीफ अनिल सिन्हा ने बताया कि राजेंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है। हमने राजेंद्र के घर और दफ्तर पर छापा मारा। कुछ दस्तावेज जब्त किए। यह कार्रवाई राजेन्द्र के खिलाफ चल रहे पुराने मामले में की गई है। आरोप है कि राजेंद्र ने कई कंपनियां बनाकर सरकारी ठेके हासिल किए। अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाया। उनके खिलाफ तीन पुख्ता शिकायतें मिली थीं। यह छापा करोड़ाें रुपए के सीएनजी फिटनेस घोटाले के संबंध में मारा गया है।
केजरीवाल के करीबी हैं राजेन्द्र
दिल्ली सीएम के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। सीएम केजरीवाल ने राजेन्द्र कुमार को अपने 49 दिन के पहले कार्यकाल के दौरान भी प्रधान सचिव बनाया था। राजेंद्र कुमार अरविंद केजरीवाल के कितने करीब हैं इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इसी साल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मुख्य सचिव अनिंदो मजूमदार के ऑफिस में ताला डालकर उसे सील कर दिया था और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर की अनदेखी करते हुए राजेन्द्र कुमार को अपना प्रधान सचिव बनाया था।