निर्भया की मौत से भी सीख नहीं ली हमने

लखनऊ। तीन साल पहले आज ही के दिन बहादुर बिटिया के साथ दरिंदों ने दुराचार कर उसे सड़क पर फेंक दिया था। 13 दिन बाद उसकी मौत हो गई। उसके बाद तमाम कोशिशें की गई लेकिन नतीजे क्या रहे आज आपको वो बताते हैं। आज तीन साल बाद हालात और बदतर नजर आ रहे हैं। आंकड़े तो यही कहते हैं। हजार से महज कुछ ही दिन ज्यादा हुए हैं और इस दौरान करीब 234 लड़कियों से रेप के मामले दर्ज हो
चुके हैं। यानी हर चौथे दिन एक रेप हो रहा है। रेप ही नहीं, 108 हत्याएं भी महिलाओं के खिलाफ 16 दिसंबर के बाद हुए अपराधों में शामिल हैं।वहीं हजार के करीब यौन शोषण, एक लाख छेड़छाड़ और उत्पीड़न की शिकायतें भी दर्ज की गईं।
वहीं एक बड़ा परिवर्तन यह भी आया है कि महिलाएं अब डरी, सहमी या सकुचाती नहीं हैं। वे खुलकर सामने आने लगी हैं और विरोध जताती हैं। तीन साल पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में पीड़ित महिलाओं के लिए वुमन पावर लाइन जैसी संस्था बनाकर उन्हें इंसाफ दिलाने की सुविधा दी है। निर्भया कांड के बाद छेड़छाड़, दुराचार की शिकार हुई महिलाओं में आरोपी को सजा दिलाने, उनमें इंसाफ लेने के जज्बे को बढ़ाया है। साथ ही एक और दुखद पहलू यह है कि 1090 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज होने वाली साढ़े चार लाख शिकायतों में से एक लाख लखनऊ की युवतियों द्वारा की शिकायतें हैं।
अब तक साढ़े चार लाख शिकायतें दर्ज
तीन साल पहले सीएम अखिलेश द्वारा शुरू की गई वुमेन पॉवर लाइन में अब तक साढ़े चार लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। इन शिकायतों के आंकड़ों में लखनऊ पहले नम्बर है। लखनऊ में तीन साल में 94109 लोगों ने छेड़छाड़, सार्वजनिक स्थानों पर प्रताड़ित करने और घरेलू हिंसा की शिकायतें की। शिकायत करने वालों में 48 हजार 283 छात्रएं हैं। इनमें एक हजार 808 शिकायतों का अभी समाधान नहीं किया जा सका है।
आंकड़ों के मुताबिक पूरे उत्तर प्रदेश से तीन साल में करीब चार लाख 46 हजार 235 शिकायतें वुमेन पॉवर लाइन (1090) में की गई। वुमेन पावर लाइन की सीओ बबिता सिंह के मुताबिक इनमें चार लाख 38 हजार 185 शिकायतों को सुलझा भी लिया गया है। घरेलू हिंसा के भी मामले खूब सामने आ रहे हैं। हर साल एक हजार के करीब घरेलू हिंसा के मामले आ रहे हैं। इनमें सबसे अधिक काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है।
सार्वजनिक स्थानों पर मामले बढ़े
आईजी नवनीत सिकेरा कहते हैं कि जब 1090 की शुरुआत हुई तो महिलाओं में असंमजस की स्थिति थी। पर, इस पावर लाइन में सिर्फ महिला पुलिसकर्मी ही शिकायतें सुनती है और पीड़िता को थाने जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। कई ऐसे मामलों में पीड़िता को न्याय मिला जिसमें उन्हें लम्बे समय थाने के चक्कर लगाने के बाद भी सुनवाई नहीं होती थी। बीते तीन सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो सार्वजनिक स्थानों पर शिकायतों के मामले बढ़ते चले गए।
ये है 1090 के आकड़े
1- 03 हजार 243 घरेलू हिंसा की शिकायतें
2- 04 लाख 46 हजार 235 शिकायतें तीन साल में आईं
3- 07 हजार 533 मामले सोशल साइट पर परेशान करने के
4- 04 लाख 38 हजार 185 हल हुई शिकायतें
5- 08 हजार 775 मामले सार्वजनिक स्थान पर छेड़खानी व प्रताड़ना के
6- 04 लाख, 17 हजार 443 शिकायतें फोन पर तंग करने की
7- 8050 शिकायतें लम्बित
8- 1192 अन्य शिकायतें
ये है सबसे ज्यादा शिकायतों वाले जिले
1- लखनऊ 94109
2- कानपुर 22593
सबसे कम शिकायतों वाले जिले
1- श्रावस्ती 636
2- कासगंज 1004
हत्याओं से ज्यादा दहेज हत्याएं
निर्भया कांड के बाद लखनऊ में एक ओर महिलाओं की हत्याओं के 108 मामले दर्ज किए गए हैं तो वहीं दहेज हत्याओं के 155। यह बताता है कि हमारे समाज का एक हिस्सा आज भी अपने लालच के सामने महिलाओं के जीवन को कुछ नहीं समझ रहा।
ये है नंवबर तक के आकड़े (उप्र पुलिस की ओर से )
वर्ष/अपराध हत्या दुराचार यौन शोषण अपहरण छेड़छाड़ व उत्पीड़न दहेज हत्या
2013 27 72 328 304 880 56 –
2015 48 98 325 318 835 817 50