UPPSC चेयरमैन के विरुद्ध याचिका पर सरकार को नोटिस

इलाहाबाद। UPPSC चेयरमैन डॉ. सुनील कुमार जैन को उनके पद से हटाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने चेयरमैन जैन और सदस्य फरमान अली को नोटिस भी जारी किया है। याचिका को इस मामले में पहले से दाखिल याचिकाओं के साथ संबद्ध कर दिया गया है।
क्यों उठी हटाने की मांग
गोरखपुर के डॉ. धर्मेंद्र ने जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि UPPSC चेयरमैन के खिलाफ आगरा में आपराधिक केस दर्ज है। इस तथ्य को नजरअंदाज कर उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 जून 2012 को जैन को चेयरमैन नियुक्त कर दिया।
इसी तरह सदस्य फरमान अली की नियुक्ति भी मनमाने तरीके से की गई। इनका अधिवक्ता के तौर पर पंजीकरण संदिग्ध है। फरहान अली स्वयं को अधिवक्ता बताते हैं मगर विधि के क्षेत्र में उनका क्या उल्लेखनीय योगदान है जिससे उनको महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर नियुक्ति दी जा सके पता नहीं है। उनका पंजीकरण भी उस समय के बाद का जो उन्होंने बताया है।
UPPSC चेयरमैन पर कोर्ट
चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचुड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान आयोग कि तरफ से अधिवक्ता निशीथ यादव और प्रदेश सरकार कि तरफ से अपर महाधिवक्ता सीबी यादव मौजूद रहे। दोनों ने जनहित याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा, मामले को लेकर पहले भी याचिका दाखिल की जा चुकी है। मगर पीठ ने उनकी आपत्तियों को अस्वीकार करते हुए कहा कि पहले वह हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष रखें। याची के वकील आलोक मिश्र का कहना था कि डॉ. जैन और फरहान के संबंध में सूचना का अधिकार के तहत नई जानकारियां प्राप्त हुई हैं। इस पर खंडपीठ ने प्रदेश सरकार, आयोग, चेयरमैन और सदस्य फरमान अली से जवाब तलब किया है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 फरवरी 2016 को होगी।