Uttarakhand Glacier Tragedy: लापता लोगों के डेथ सर्टिफिकेट की कार्रवाई में तेजी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चमोली आपदा में लापता लोगों के डेथ सर्टिफिकेट की कार्रवाई में तेजी लाने के आदेश दिए हैं

देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने चमोली (Chamoli) के तपोवन क्षेत्र में आई आपदा में लापता लोगों के डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate) की कार्रवाई में तेजी लाने के आदेश दिए हैं जिससे प्रभावित परिवारों को जल्द राहत राशि का भुगतान किया जा सके।
उत्तराखण्ड में शोध संस्थान
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में शोध संस्थान (Research Institute) खोला जाएगा। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत एयर एम्बुलेंस के लिए केंद्र सरकार को जल्द प्रस्ताव भेजा जायेगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चमोली के तपोवन क्षेत्र में आई आपदा में लापता लोगों के डेथ सर्टिफिकेट की कार्रवाई में तेजी लाने के आदेश दिए हैं जिससे प्रभावित परिवारों को जल्द राहत राशि का भुगतान किया जा सके: उत्तराखंड मुख्यमंत्री कार्यालय pic.twitter.com/i7p3YHQbD1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 27, 2021
7 फरवरी 2021 को उत्तराखंड राज्य के बाहरी गढ़वाल हिमालय में युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान से शुरू हुई। ऐसा माना जाता है कि यह भूस्खलन, हिमस्खलन या ग्लेशियल झील के बहने के कारण हुआ है। इसके कारण चमोली जिले में बाढ़ की स्थिति बन गई, विशेष रूप से ऋषिगंगा नदी, धौलीगंगा नदी, और अलकनंदा -गंगा की प्रमुख नदीशीर्ष, में। इस आपदा में कम से कम 38 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है और लगभग 168 लोग लापता हैं।
कुछ रिपोर्टो के अनुसार, नन्दा देवी ग्लेशियर से एक भारी और ठोस हिस्सा, प्राकृतिक कारणों से टूटकर नीचे के ग्लेशियर पर गिर गया। इससे ग्लेशियर के टुकड़े-टुकड़े हो गए और चट्टान के मलबे के साथ मिल गए। इसके बाद चट्टान और बर्फ का वो मिश्रण तेज ढलान से 3 किलेामीटर तक नीचे रौंथी गधेरा धारा से टकराया।
जब वह नदी से टकराया तो एक बांध जैसा स्ट्रक्चर बन गया और बर्फबारी की वजह से कुछ समय तक टिका रहा। बाढ़ से तीन दिन पहले तक, मौसम साफ रहा। जिससे जमा चट्टान और बर्फ का मिश्रण तेजी से पिघला और उस इलाके को चीरता हुआ तपोवन घाटी की तरफ बढ़ गया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बाढ़ में चट्टानें, पानी और बर्फ थी। यह काफी भारी था इसलिए और ऊर्जा पैदा हुई जिससे बर्फ और पिघली और सैलाब का आकार बढ़ता चला गया।
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