भारत में बढते वायु प्रदुषण से युवाओं का जीवन हो रहा बर्बाद

भारत में वायु प्रदुषण तेजी से बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के बढ़ने से शरीर में खनिज की मात्रा कम होने के कारण हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ सकता है। एक प्रमुख अध्ययन में यह दावा किया गया है। द लैनसेट प्लैनेटरी हेल्थ मैगजीन में प्रकाशित अध्ययन में पहली बार अस्पताल में उन समुदायों के लोगों के हड्डियां टूटने के मामलों के बारे में जानकारी दी गई है, जो ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां पार्टिक्यूलेट मैटर उच्च स्तर पर है, जो कि वायु प्रदूषण का उच्च घटक है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वायु प्रदूषण को इस प्रकार परिभाषित किया है, ‘वायु प्रदूषण एक ऐसी स्थिति है जिसमें वातावरण में मनुष्य और पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में जमा हो जाते हैं।’ वैसे तो आज पूरी दुनिया वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है, लेकिन भारत के लिए यह समस्या कुछ ज्यादा ही घातक होती जा रही है। डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 14 भारत के ही हैं।
सर्दियों में यह स्थिति और भी घातक होने लगती है। इस दौरान हवा में मौजूद नमी के चलते ये गैसें और धूल वातावरण में धुंध की एक मोटी चादर फैला देती है जिससे हालात किसी गैस चैंबर की तरह हो जाते हैं। यह स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इन आंकड़ों से भी लगता हैः
- दुनिया के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा बच्चे जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।
- घरेलू वायु प्रदूषण से हर साल 38 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
- दुनिया भर के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत के हैं।
- बाहरी वातावरण में मौजूद वायु प्रदूषण दुनियाभर में हर साल करीब 42 लाख लोगों की मौत का कारण बनता है।
- वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक मौतें (43 प्रतिशत) फेफड़ों से संबंधित बीमारियों से होती हैं।
अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट (एचईआई) और इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशंस (आईएचएमई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण को टाइप-2 मधुमेह से जोड़ा गया है। भारत के लिए यह बेहद चिंता की बात है क्योंकि यह महामारी का रूप ले चुका है।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर, 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, दूषित वायु धूम्रपान से भी ज्यादा मौतों का कारण बन रही है। वायु प्रदूषण के कारण 2017 में दुनियाभर में 49 लाख मौतें हुई हैं। कुल मौतों में 8.7 प्रतिशत योगदान वायु प्रदूषण का रहा। भारत में वायु प्रदूषण के कारण 2017 में 12 लाख लोगों ने जान गंवाई है। यह मौतें आउटडोर (बाहरी), हाउसहोल्ड (घरेलू) वायु और ओजोन प्रदूषण का मिलाजुला नतीजा है।रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण के कारण लोग समय से पूर्व मर रहे हैं और उनकी आयु 2.6 साल कम हुई है। आउटडोर पीएम के कारण जहां 18 महीने जीवन प्रत्याशा कम हुई, वहीं घरेलू प्रदूषण के चलते इसमें 14 महीने की कमी आई। यह कम जीवन प्रत्याशा के वैश्विक औसत (20 महीने) से बहुत अधिक है।