कौन थे राजा सुहेलदेव, जिनकी मनाई जा रही है जयंती
राज्य सरकार के द्वारा सुहेलदेव की स्मारक का निर्माण किया जा रहा है।

नई दिल्ली: राज्य सरकार के द्वारा सुहेलदेव की स्मारक का निर्माण किया जा रहा है। जिसका शिलान्याश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यहीं नहीं योगी सरकार ने भी प्रदेश के अलग-अलग अखबारों में राजा सुहेलदेव की विज्ञापन भी निकलवाई हैं। लेकिन लोगों में नराजगी तो सुहेलदेव की जाति को लेकर चल रही है।
आपको बता दे कि राजा को सरकार ने राजभर को तौर पर प्रचारित किया है। इससे पहले इनको पासी के तौर पर भी जाना गया है। लेकिन राजपूतों का मानना है कि वह राजपूत थे। बताया जा रहा है कि राजा सुहेलदेव को राजभर बताने से राजपूत वर्ग ने नाराजगी जताई है।
इस मामले को लेकर ट्विटर पर भी माहौल गर्म है। पिछले तीन दिनों से ट्विटर पर मामला चल रहा था लेकिन राजा सुहेलदेव की इस जयंती को ट्रेंड कराने की अपील की जाने लगी। कुछ लोग उन्हें क्षत्रिय राजा सहेत के रूप में याद कर रहे हैं। अमीष त्रिपाठी सुहेलदेव पर किताब लिख चुके हैं और इस किताब का कवर भी ट्विटर पर ट्रेंड हो रहा है। अगर देखा जाए तो सुहेलदेव की जयंती पर जम कर राजनीति की जा रही है।

सालार मसूद को हराया था
माना जाता है कि 11 वीं सदी में महमूद ग़ज़नवी के भारत पर आक्रमण के वक़्त सालार मसूद ग़ाज़ी ने बहराइच पर आक्रमण किया लेकिन वहां के राजा सुहेलदेव से बुरी तरह पराजित हुआ और मारा गया।
ये कहानी 14वीं सदी में अमीर खुसरो की क़िताब एजाज़-ए-खुसरवी और उसके बाद 17वीं सदी में क़िताब मिरात-ए-मसूदी में मिलती है। इतिहास के पन्नों में राजा सुहेलदेव का इतिहास भले ही न दर्ज हो लेकिन लोक कथाओं में राजा सुहेलदेव का ज़िक्र होता रहा है।

अलग-अलग नामों से जाना जाता था
20वीं शताब्दी के बाद से, विभिन्न हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने उन्हें एक हिंदू राजा के रूप में चिह्नित किया, जिसने मुस्लिम आक्रमणकारियों को हरा दिया। पौराणिक कथा के अनुसार, सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा के सबसे बड़े पुत्र थे। पौराणिक कथाओं की अलग किताबों में उन्हें सकरदेव, सुहीरध्वज, सुहरीदिल, सुहरीदलध्वज, राय सुह्रिद देव, सुसज और सुहारदल अलग अलग नामों से जाना जाता है।
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